- भारत के नवीनतम संचार उपग्रह, जीसैट-31 को फ्रेंच गुयाना के स्पेसपोर्ट से 6 फरवरी, 2019 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
- लॉन्च वाहन एरियन 5 वीए-247 को फ्रेंच गुयाना के कौरू लॉन्च बेस से प्रातः 2:31 बजे (आईएसटी) लांच किया गया। इसके साथ भारत के जीसैट-31 और सऊदी जियोस्टेशनरी सैटेलाइट 1/हेलास सैट 4 उपग्रहों को ले जाया गया है।
- 42 मिनट की उड़ान के बाद, जीसैट-31 एरियन 5 ऊपरी चरण में एक 250 किमी की परिधि (पृथ्वी के निकटतम बिंदु) और 35,850 किमी की एक अपोजी (पृथ्वी के सबसे दूर बिंदु) के साथ एक अण्डाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में अलग हो गया।
- 2536 किलोग्राम भार वाला जीसैट-31 भूस्थैतिक कक्षा में कू-बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को बढ़ाएगा। यह उपग्रह ऑर्बिट के कुछ उपग्रहों की परिचालन सेवाओं को निरंतरता प्रदान करेगा।
- इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन के अनुसार यह उपग्रह भारत की मुख्य भूमि और द्वीपों को संचार सेवाएं उपलब्ध कराएंगा। उन्होंने यह भी बताया कि जीसैट-31 एटीएम, स्टॉक एक्सेंज, डिजिटल सेटेलाइट, न्यूज गैदरिंग (डीएसएनजी) और ई-गवर्नेंस एप्स के लिए वीएसएटी क्नेक्टिविटी और डीटीएच टेलीविजन सेवाएं उपलब्ध कराएंगा। यह उपग्रह उभरते हुए दूरसंचार अनुप्रयोगों के होस्ट के लिए थोक डाटा स्थानांतरण के लिए भी उपयोग किया जाएगा।
- आने वाले दिनों में वैज्ञानिक अपने ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए इस उपग्रह को भू-स्थैतिक कक्षा में भेजने के लिए चरणवार ऑर्बिट राइजिंग कार्यक्रम चलाएंगे।
- ऑर्बिट राइजिंग परिचालनों के अंतिम चरण के दौरान, जीसैट-31 का एंटीना रिफ्लेक्टर तैनात कर दिया जाएगा। इसके बाद इस उपग्रह इसके अंतिम ऑर्बिट विन्यास में स्थापित कर दिया जाएगा। सभी इन-ऑर्बिट परीक्षणों के सफल समापन के बाद यह उपग्रह चालू हो जाएगा।