आपदा संबंधी चेतावनी के लिए आपातकालीन जानकारी और संचार तथा समुद्री राज्यों में मछुआरों के लिए चेतावनी तथा मछली संभावित जोन (PFZ) के लिए केंद्र सरकार ने 9 अक्टूबर 2019 को गगन आधारित समुद्री संचालन और जानकारी उपकरण “जैमिनी” ( Gagan Enabled Mariner’s Instrument for Navigation and Information: GEMINI ) का शुभारंभ किया।
उपग्रह पर आधारित संचार प्रणाली आपात स्थिति में चक्रवाती तूफान, ऊंची लहरों और सुनामी से निपटने के लिए जानकारी प्रदान करने में सहायता दे सकती है।
जहां पीएफजेड समुद्र में मछुआरों को मछली की जानकारी देगी वहीं ओएसएफ समुद्र की वास्तविक स्थिति राज्यों को बतायेगी।
समुद्री राज्य भविष्यवाणी ( Ocean States Forecasts: OSF ) में अगले पांच दिनों के लिए दैनिक आधार पर हर छह घंटे में हवा, समुद्री करंट, पानी के तापमान आदि पर भविष्यवाणी सम्मिलित की गई है। इससे मछुआरों को अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और मछली पकड़ने संबंधी गतिविधियों की योजना बनाने में सहायता मिलेगी।
हालांकि कई सारे माध्यमों द्वारा भविष्यवाणी जारी करने के बावजूद कोई भी संचार माध्यम मछुआरों के तट से 10 से 12 किलोमीटर दूर जाने के बाद कोई भी ऐसी जानकारी प्रदान कर पाता है। यह मछुआरों के समुद्र में मछली पकड़ने के लिए 50 नॉटिकल माइल से आगे जाने और कभी-कभी 300 नॉटिकल माइल तक जाने के दौरान प्रभावी नहीं रह जाता है।
इसकी कमी 2017 में आये ओची चक्रवाती तूफान के दौरान महसूस की गई जब चक्रवाती तूफान के प्रभावी होने से पहले मछुआरे समुद्र में जा चुके थे और उन्हें इस तूफान की जानकारी नहीं दी जा सकी। इसके फलस्वरूप कई लोगों की मृत्यु हुई और बचाये गए लोगों को गंभीर चोट लगने के साथ-साथ मछली पकड़ने वाली नौकाओं और साजो-सामान को बड़ा नुकसान पहुंचा।
इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के साथ सहयोग कर गगन उपग्रह प्रणाली का उपयोग कर मछुआरों को पीएफजेड, ओएसएफ और आपदा चेतावनी देने का काम शुरू किया। जैमिनी उपकरण गगन सेटेलाइट से प्राप्त डाटा को ब्लूटूथ कम्युनिकेशन द्वारा मोबाइल में प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र द्वारा विकसित मोबाइल एप्लीकेशन से इस सूचना को नौ क्षेत्रीय भाषाओं में प्रदर्शित किया जाता है।