उद्यमियों को सशक्त बनानेके लिए एससी-एसटी हब की पहल

उमाशंकर मिश्र (Twitter: @usm_1984 )

नई दिल्ली, 22जनवरी : राष्ट्रीय एससी-एसटी हब के बंगलूरू स्थित क्षेत्रीय केंद्र की प्रमुख ए. कोकिला ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा की जानी वाली खरीद में एससी-एसटी उद्यमियों के बनाए उत्पादों की हिस्सेदारी सिर्फ 0.5 प्रतिशत है, जो चार प्रतिशत की निर्धारित सीमा से काफी कम है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसी-एसटी) उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय एससी-एसटी हब (एनएसएसएच) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जरिये उनके उत्पादों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहा है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसी-एसटी) उद्यमियों की संख्या कम है और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा ऐसे उद्यमों से खरीद की दर भी बेहद कम है। इन उद्यमियों के बनाए उत्पादों की खरीद को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के जरिये बढ़ावा दिया जाए तो उन्हें सशक्त बनाने में मदद मिल सकती है।ए. कोकिला नेकहा है किएससी-एसटी उद्यमी कारोबारी जगत की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं तो उनके प्रशिक्षण से लेकर वित्त पोषण और विपणन में मदद करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एनएसएसएचउनकी हर संभव मदद कर सकता है। यह बात उन्होंने मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) में एससी-एसटी उद्यमियों के लिएखाद्य प्रसंस्करण पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही है।

सीएफटीआरई में हाल में एस-एसटी उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। इस कड़ी में आयोजित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में फल एवं सब्जियों का मूल्य संवर्द्धन, मसाला प्रसंस्करण, बेकिंग और मिलिंग तकनीक जैसे विषयों को शामिल किया गया है। सीएफटीआरआई में चल रहे इस कार्यक्रम के अंतर्गत 28 जनवरी तक उद्यमियों को मसाला प्रसंस्करण और 26 जनवरी तक मिलिंग एवं बेकिंग तकनीक पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा।

सीएफटीआरआई के निदेशक केएसएमएस राघवराव ने कहा है कि “हमने उद्यमियों के लिए पहले भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। पर, एससी-एसटी उद्यमियों को एनएसएसएच के माध्यम से प्रशिक्षित करने के लिए यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। सीएफटीआरआई ने नये और उभरते उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए खास तरह के पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, जो उनके कौशल को बेहतर बनाने में उपयोगी हो सकते हैं।” (इंडिया साइंस वायर)

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