केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के डीप ओशन मिशन को सरकार की मंजूरी मिल गई है और यह 31 अक्टूबर, 2019 को आरंभ होगा।
- भारत के भू-विज्ञान मंत्रालय ने 27 जुलाई, 2018 को ‘गहन सागर मिशन’ (Deep Ocean Mission: DOM) का खाका का अनावरण किया था । इस मिशन की योजना इसरो की सफलता को दृष्टिगोचर रखते हुए उसी के आधार पर तैयार की गई है जिसके लिए 8,000 करोड़ रुपए आवंटित की गई है।
- इस मिशन के तहत एक अपटतीय विलवणीकरण संयंत्र स्थापित किया जाएगा जो ज्वारीय ऊर्जा के साथ काम करेगा।
- योजना के तहत ही एक पनडूब्बी यान भी विकसित किया जाएगा जो तीन सवारियों को लेकर समुद्र के भीतर 6000 मीटर की गहराई तक जा सकेगा। जिस तरह अंतरिक्ष में अभियान हेतु 35 वर्ष इसरो की शुरूआत हुयी, कुछ ऐसा ही अभियान अब समुद्र के भीतर भी आरंभ किया जाएगाा।
- गौरतलब है कि यूएन इंटरनेशनल सीड बेड अथॉरिटी (UN International Sea Bed Authority) ने पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (polymetallic nodules : PMN) के खनन हेतु भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin: CIOB) ) में 1,50,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है।
पॉलीमेटेलिक नॉड्यूल्स
- पॉलीमेटेलिक नॉड्यूल्स समुद्र तल में लौह, मैंगनीज, निकेल व कोबाल्ट से युक्त बिखरे चट्टान हैं।
- ऐसा अनुमान है है कि इस भंडार का यदि 10 प्रतिशत का भी खनन किया जाता है तो यह अगले 100 वर्षों तक भारत की ऊर्जा की मांग की पूर्ति की जा सकती है।
- मध्य हिंद महासागर बेसिन के तल में लगभग 380 मिलियन मीट्रिक टन का पॉलीमेटेलिक नॉड्यूल्स उलब्ध है।