भारत में समुद्री ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले एक निर्णय में केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर के सिंह ने 22 अगस्त, 2019 को समुद्री ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- समुद्री ऊर्जा के विभिन्न प्रकार जैसे ज्वार-भाटा,लहर और समुद्री ऊष्मीय ऊर्जा रूपान्तरण विभिन्न द्वारा उत्पादित ऊर्जो को नवीकरणीय ऊर्जा माना जाएगा और यह गैर-सौर नवीकरणीय खरीद करार के योग्य होगी।
समुद्री ऊर्जा
- समुद्र पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत कवर करते हैं और इसमें बड़ी मात्रा में ज्वार-भाटा,लहर, समुद्री विद्युत प्रवाह और ऊष्मीय झुकाव रुप में विशाल ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा का सभी रूपो में पूर्ण रूप से प्रयोग करने के लिए दुनिया भर में विभिन्न प्रौद्योगिकी को अभी विकसित किया जा रहा है।
- समुद्री ऊर्जा की कुल क्षमता लगभग 12455 मेगावॉट आंकी गई है। भारत में समुद्री ऊर्जा के लिए संभावित स्थानो के रूप में खम्बात, कच्छ क्षेत्र और बड़ी संख्या में बांध क्षेत्र की पहचान की गई है। बांध क्षेत्र में बैराज प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया सकता है।
- समुद्री ऊर्जा का वर्तमान में प्रयोग वर्तमान में सिर्फ कुछ प्रौद्योगिकी जैसे ज्वार-भाटा, लहर और समुद्री ऊष्मीय ऊर्जा द्वारा किया जा रहा है।
ज्वार भाटा ऊर्जा
- ज्वार भाटा ऊर्जा चांद के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण हर 12 घंटे में उत्पन्न होती है। ज्वार भाटा विद्युत संयंत्र की लागत निर्माण लागत और ऊर्जा खरीद शुल्क के कारण बेहद अधिक है।
लहर ऊर्जा
- लहर ऊर्जा समुद्र की सतह पर तैर रहे या समुद्र के तल पर उपकरण की गति से पैदा होती है। लहर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली विभिन्न प्रौद्योगिकी का अध्ययन किया जा रहा है।
जल धारा ऊर्जा
- समुद्री ऊर्जा समुद्र के पानी के एक दिशा से दूसरी दिशा में बहने से उत्पन्न होती है। विंड टरबाइन के समान समुद्री ऊर्जा रोटर ब्लेड को गति देती है जिसे विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- समुद्री ऊष्मीय ऊर्जा रूपान्तरण में सतह से 1000 मीटर से कम की गहराई तक के समुद्र में तापमान के अंतर का प्रयोग किया जाता है। केवल 20 डिग्री सेल्शियस का अंतर प्रयोग करने योग्य ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है।