- उमाशंकर मिश्र (Twitter handle: @usm_1984)
जालंधर, 4 जनवरी : रोजमर्रा की जिंदगी में मौजूदा दौर की कई प्रौद्योगियों का उपयोग हो रहा है। ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे जो 100 वर्ष पहले प्रचलित तकनीकों के बारे में जानते होंगे। भावी पीढ़ियों का परिचय वर्तमान में प्रचलित प्रौद्योगिकी के विभिन्न रूपों से कराने के लिए 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) कैंपस में एक टाइम कैप्सूल को आगामी सौ वर्षों के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है।
इस टाइम कैपसूल में मौजूदा समय के सौ उपकरणों को जमीन के 10 फीट नीचे दबा दिया गया है। इन उपकरणों में लैपटॉप, स्मार्टफोन, एयर फिल्टर, ड्रोन, वीआर ग्लासेज, अमेजन एलेक्सा, इंडक्शन कुकटॉप, एयर फ्रायर, सोलर पैनल और मिररलेस कैमरा शामिल है।
यह टाइम कैपसूल तीन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों द्वारा जमीन के नीचे दबाया गया है। इन नोबेल वैज्ञानिकों में जर्मन-अमेरिकी जीव रसायन विज्ञानी थॉमस क्रिश्चियन सुडॉफ, ब्रिटिश मूल के भौतिक-विज्ञानी प्रोफेसर फ्रेडरिक डंकन हेल्डेन और इजरायल के जीव रसायनशास्त्री एवरम हेर्शको शामिल हैं। ये वैज्ञानिक 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में हिस्सा लेने के लिए जालंधर आए हुए हैं।
कुछ नयी फिल्मों, वृत्तचित्रों और 12वीं कक्षा की विज्ञान की पुस्तकों को भी एक हार्डडिस्क में सेव करके टाइम कैपसूल में रखा गया है। इसमें भारत की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों को दर्शाने के लिए मंगलयान, कलामसैट, ब्रह्मोस मिसाइल और लड़ाकू विमान तेजस की प्रतिकृतियां भी शामिल की गई हैं। डिजिटल लेनदेन से जुड़ी यूपीआई जैसी सेवाओं को भी इसमें शामिल किया गया है।
एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल के अनुसार, ‘पिछले कुछ दशकों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े कई बड़े बदलाव हुए हैं और आज भी हमारे जीवन में नई तकनीकी क्षमताएं निरंतर जुड़ रही हैं। यह टाइम कैपसूल मौजूदा दौर की तकनीकों का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे विश्वास है कि जब सौ साल के बाद वर्ष 2119 में इसे खोदकर बाहर निकाला जाएगा तो लोग हैरान हुए बिना नहीं रह पाएंगे।’
इस टाइम कैपसूल को एलपीयू के इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, एग्रीकल्चर, डिजाइन और कंप्यूटर साइंस विभागों के 25 छात्रों ने मिलकर तैयार किया है। टाइम कैपसूल में रखे गई चीजों को विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर चुना गया है। (इंडिया साइंस वायर)