पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिला के दो किसानों ने प्रयोग के तौर पर अपनी 30 सेंट्स जमीन पर केरल का प्रसिद्ध पोक्कली चावल का रोपण किया है। इन किसानों ने ब्रेकथ्रो साइंस सोसायटी, जो कि सुदंरबन का एक विज्ञान क्लब है, के माध्यम से पोक्कली चावल मंगवाया है।
पोक्कली चावल किस्म के बारे में
पोक्कली चावल (pokkali variety) खारा जल को सहने की क्षमता से युक्त किस्म है। अर्थात खारा जल में भी यह अच्छी फसल दे सकता है। सुंदरबन में अम्फान चक्रवात के पश्चात किसान खारा जल की समस्या का सामना कर रहे थे। इसलिए उन्होंने पोक्कली चावल उगाना उचित समझा।
मूल रूप से इस चावल की खेती केरल के अलपुझा, एर्नाकुलम एवं त्रिसूर जिलों में की जाती है।
वर्ष 2008 में पोक्कली चावल को जीआई टैग प्रदान किया गया था।
पोक्कली चावल का विट्टिला-11 (Vyttila-11) किस्म को सुंदरबन में डाक के माध्यम से भेजा गया है। इसे चावल की ज्योति किस्म के साथ क्रॉस कराया गया है। इसकी उत्पादकता 5 टन प्रति हेक्टयेर है।
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