- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2018 को विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पहली सभा का उद्घाटन किया। इसके साथ ही द्वितीय आईओआरए नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रीस्तरीय बैठक और द्वितीय विश्व नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक बैठक एवं प्रदर्शनी (RE-Invest: Renewable Energy Investors’ Meet and Expo)) का भी उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव श्री अन्तोनियो ग्युतरेस भी उपस्थित थे।
- प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य में प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ओपेक का स्थान ले लेगा।
- उन्होंने बताया कि भारत एक कार्य योजना के जरिए पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों द्वारा पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि भारत ‘निर्धनता से शक्ति’ के एक नये आत्मविश्वास का विकास कर रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा सृजन के साथ ऊर्जा भंडारण भी महत्वपूर्ण होता है। इस संदर्भ में उन्होंने राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन का उल्लेख किया। इस मिशन के तहत सरकार मांग सृजन, घरेलू निर्माण, नवाचार और ऊर्जा भंडारण पर ध्यान दे रही है।
- क्या है अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन
- सदस्य देशों के बीच सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु 30 नवंबर, 2015 को पेरिस घोषणापत्र के माध्यम से ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (International Solar Alliance-IDA) गठित किया।
- इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 1000 गीगावाट का सौर ऊर्जा सृजन तथा इसमें 100 अरब डॉलर का निवेश है।
- 15 सदस्यों की अभिपुष्टि के पश्चात अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क (ISA Framework Agreement) 6 दिसंबर, 2017 को लागू हो गया। इससे यह विधिवत रूप से एक अंतरराष्ट्रीय संगठन हो गया।
- अब तक 68 देशों ने इसके फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर कर दिये हैं तथा 44 देशों ने इसकी अभिपुष्टि कर दी है।
- अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा, भारत) में है।