मंत्रिमंडल ने 10 अक्टूबर 2018 को कौशल विकास के मद्देनजर मौजूदा नियामक संस्थानों राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी-NCVT) और राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए-NSDA) को मिलाकर राष्ट्रीय व्यावसायी शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी-National Council for Vocational Education and Training (NCVET)) की स्थापना को मंजूरी दे दी।
- एनसीवीईटी दीर्घकालीन और अल्पकालीन दोनों तरह के व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के काम में लगे निकायों के कामकाज को नियमित करेगा तथा इन निकायों के कामकाज के लिए न्यूनतम मानक तैयार करेगा। एनसीवीईटी के प्रमुख कामकाज में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं-
- निर्णायक निकायों, मूल्यांकन निकायों और कौशल संबंधी सूचना प्रदाताओं की मान्यता तथा नियमन
- निर्णायक निकायों और क्षेत्र कौशल परिषदों (एसएससी) द्वारा विकसित पात्रताओं की मंजूरी
- निर्णायक निकायों और मूल्यांकन एजेंसियों के जरिए व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों का अप्रत्यक्ष नियमन
- अनुसंधान एवं सूचना प्रसार
- शिकायत निवारण
- परिषद का नेतृत्व एक अध्यक्ष के हाथ में होगा तथा उसमें कार्यकारी और गैर-कार्यकारी सदस्य होंगे। चूंकि एनसीवीईटी को दो मौजूदा निकायों को आपस में मिलाकर स्थापित करने का प्रस्ताव है, इसलिए मौजूदा अवरचना तथा संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा आसान कामकाज के लिए अन्य पद भी बनाए जाएंगे। नियामक निकाय, नियमन प्रक्रियाओं के उत्कृष्ट व्यवहारों का पालन करेगा, जिससे उसका कामकाज और संचालन प्रोफेशनल तरीके से तथा मौजूदा कानूनों के तहत सुनिश्चित किया जा सकेगा।
लाभ
- इस संस्थागत सुधार से गुणवत्ता दुरुस्त होगी, कौशल विकास कार्यक्रमों की बाजार प्रासंगिकता बढ़ेगी, जिसके मद्देनजर व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की साख में इजाफा होगा।
- इसके अलावा कौशल क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ेगी। यह संभव हो जाने से व्यावसायिक शिक्षा के मूल्यों और कुशल श्रमशक्ति को बढ़ाने संबंधी दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसके कारण भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के विषय में प्रधानमंत्री के एजेंडा को बल मिलेगा।
- एनसीवीईटी भारत की कौशल ईको-प्रणाली की एक नियामक संस्था है, जिसका देश में व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण में संलग्न सभी व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कौशल आधारित शिक्षा के विचार को आकांक्षी आचरण के रूप में देखा जाएगा, जिससे छात्रों को कौशल आधारित शैक्षिक पाठ्यक्रमों में हिस्सा लेने का प्रोत्साहन मिलेगा। आशा की जाती है कि इस उपाय से उद्योग और सेवा क्षेत्र में कुशल श्रमशक्ति की स्थिर आपूर्ति के जरिए व्यापार सुगमता की सुविधा हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
- भारत की जनसांख्यिकीय विशेषता के उपयोग संबंधी प्रयासों को ध्यान में रखते हुए उसकी श्रमशक्ति के लिए आवश्यक हो गया है कि उसे रोजगार प्राप्त करने के योग्य कौशलों एवं ज्ञान से लैस किया जाए, ताकि वह ठोस तरीके से आर्थिक विकास में योगदान कर सके।
- अतीत में देश की कौशल प्रशिक्षण आवश्यकताओं को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों के जरिए पूरा किया जाता था। इसके अलावा इस आवश्यकता को एनसीवीटी द्वारा नियमित प्रमापीय नियोजन योजना (एमईएस) के जरिए पूरा किया जाता था, क्योंकि यह व्यवस्था देश की बढ़ती कौशल जरूरतों को पूरा करने में पर्याप्त नहीं थी और श्रमशक्ति की कौशल आवश्यकताएं भी बढ़ रही थीं, इसलिए सरकार ने कौशल प्रयासों को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे। इन प्रयासों के नतीजे में प्रशिक्षण अवरचना का बहुत विकास हुआ, जिनमें से अधिकतर निजी क्षेत्र में थीं। इस समय कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए 20 मंत्रालय/विभाग मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर निजी क्षेत्र प्रशिक्षण प्रदाताओं की सहायता से चल रहे हैं।
- बहरहाल, समुचित नियामक दृष्टि के अभाव में बहुत सारे हितधारक विभिन्न मानकों वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश करते रहे हैं। इन हितधारकों की मूल्यांकन और प्रमाणीकरण प्रणालियां भिन्न-भिन्न हैं, जिसका व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली पर गंभीर असर पड़ता है। इस तरह देश के युवाओं की रोजगार योग्यता पर भी असर पड़ता है।
- वर्ष 2013 में राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए) की स्थापना के जरिए नियमन उपाय की कोशिश की गई थी, ताकि सरकार और निजी क्षेत्र के कौशल विकास प्रयासों में समन्वय बनाया जा सके। एनएसडीए की प्रमुख भूमिका राष्ट्रीय कौशल पात्रता संरचना को संचालित करने की थी, ताकि क्षेत्रवार आवश्यकताओं के लिए गुणवत्ता तथा मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।
- बहरहाल, एक समेकित नियामक प्राधिकार की आवश्यकता महसूस की गई जो अल्पकालीन और दीर्घकालीन कौशल आधारित प्रशिक्षण के सभी पक्षों को पूरा कर सके। एनसीवीईटी को एक ऐसे संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया गया जो वे सभी नियामक कार्य करेगा, जिन्हें एनसीवीटी तथा एनएसडीए करते रहे हैं। इस समय क्षेत्र कौशल परिषदों के जरिए नियामक कामकाज राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा किया जा रहा है। यह भी एनसीवीईटी में निहित होगा।