- विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी रिपोर्ट में ‘स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण’ (SBM-G) की प्रशंसा की है जिसके तहत अक्टूबर 2019 तक भारत को खुले में शौच से शत प्रतिशत मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस मिशन की लक्ष्य प्राप्ति से अतिसार रोग एवं प्रोटीन-ऊर्जा-कुपोषण (पीईएम) से होने वाली 3 लाख मौतों को टाला जा सकता है।
- इस रिपोर्ट का यह भी कहना है कि इस मिशन की सफलता से विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (Disability Adjusted Life Years: DALYs) मी मृत्यु दर में कमी की जा सकती है। डेली से तात्पर्य है अकाल मृत्यु के कारण जीवन वर्ष की समाप्ति एवं विकलांगता या बीमारी के कारण जीवन वर्ष की समाप्ति का योग।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्ष 2014 से 2019 के बीच 14 मिलियन (1.4 करोड़) विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) को टाला जा सकता है।
- रिपोर्ट के अनुसार 2 अक्टूबर, 2014 के आरंभ से लेकर 2 अगस्त तक भारत के ग्रामीण क्षेत्रें में शौचालय कवरेज 89.07 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- अब तक 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, 421 जिलें एवं 4.9 लाख से अधिक गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है।
- आलोच्य अवधि में ग्रामीण क्षेत्रें में 7.9 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण आरंभ होने से पहले असुरक्षित शौच के कारण अतिसार/डायरिया से प्रतिवर्ष 199 मिलियन लोग पीडि़त होते रहे हैं। इस में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है जब शत प्रतिशत स्वच्छता का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ट्रैकफिन (TrackFin: Tracking financing to sanitation, hygiene and drinking-water)) नामक तकनीक के द्वारा राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल में निधि के बेहतर इस्तेमाल पर निगरानी रख रखा है।
- ट्रैकफिन मेथेडोलॉजी जल, शौचालय एवं स्वास्थ्यवर्द्धक (water, sanitation and hygiene: WASH) क्षेत्रक के वित्तीयन पर नजर रखता है ताकि कोई जरूरतमंद इससे छूट नहीं जाए।