- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर एवं महाराजगंज के 23 वनटंगिया गांवों में अब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने लगा है। इन गांवों में सौर ऊर्जा पहुंचाई जा रही है, वाटर टैंक स्थापित जा रहे हैं, हैंड पैप लगाया जा रहा है तथा राशन कार्ड भी वितरित किया जा रहा है।
- दरअसल तिनकोनिया सहित वनटंगिया समुदाय के 23 गांव वर्षों से बुनियादी आधारसंरचनाओं से वंचित रहा है क्योंकि ये गांव वन विभाग के तहत थे।
- इन गांवों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने दिवाली उपहार के रूप में वर्ष 2017 में इन्हें राजस्व गांव का दर्जा दिया था।
- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकार की मान्यता) के तहत जनजातीय गांवों को राजस्व गांवों में बदलने से प्रशासन को इन गांवों में विकासात्मक कदम यथाः स्कूल, अस्पताल इत्यादि स्थापित करने की अनुमति मिल जाती है।
- एक राजस्व गांव निर्धारित सीमा वाला छोटी प्रशासनिक क्षेत्र होता है। एक राजस्व गांव में कई पुरवा होते हैं। ग्रामीण प्रशासनिक पदाधिकारी राजस्व गांव का प्रमुख होता है।
कौन हैं वनतंगिया समुदाय?
- वनटंगिया (Vantangiyas ) समुदाय वैसे लोग हैं जिन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान म्यांमार से वन रोपण के लिए लाया गया था।
- वनटंगिया शब्द वन और टंगिया से बना है। इनमें टंगिया बर्मा की झूम पहाड़ी बागानी कृषि ‘टोंग्या’ का अपभ्रंश रूप है। इस कृषि तकनीक में दो पेड़ों के बीच की जगह को मौसमी फसल का रोपण किया जाता था।
- बर्मा से प्रेरित होकर ही 1922 में ब्रिटिश सरकार ने उत्तर प्रदेश में इस तकनीक को अपनाया।
- उत्तर प्रदेश में लगभग 50,000 वनतंगिया रहते हैं।