- भारत के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने प्रयागराज में शुष्क नदी की खुदाई किया है जो संभवतः सरस्वती नदी हो सकती है ।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने प्रयागराज में एक पुरानी, सूख चुकी नदी की खुदाई की है, जो गंगा और यमुना नदियों को जोड़ती है। - केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के तहत आने वाले निकाय नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के अधिकारियों के मुताबिक, इसे संभावित भूजल पुनर्भरण स्रोत (potential groundwater recharge source) के रूप में विकसित करना है। इन पैलियोचैनल से उन नदियों के मार्ग का पता चलता है, जिनका अस्तित्व समाप्त हो गया है।
- “जमीन के नीचे स्थित प्राचीन नदी” लगभग 4 किमी चौड़ी, 45 किमी लंबी है और इसमें मिट्टी के नीचे दबी हुई 15 मीटर मोटी परत शामिल है।
- यह खोज दिसंबर 2018 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और कौशाम्बी क्षेत्र को कवर करने वाले एक हेलीकाप्टर-जनित भूभौतिकीय सर्वेक्षण के दौरान CSIR-NGRI और केंद्रीय भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा की गई थी।
- नई खोजी गई नदी प्रयागराज में वर्तमान गंगा-यमुना संगम से लगभग 26 किलोमीटर दक्षिण में दुर्गापुर गाँव में यमुना नदी में मिलती है, जो एक “जमीन के नीचे पेलियोचैनल” थी।
- इस पैलियोचैनल खोज की खोज प्रोफेसर के.एस. वल्दिया की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति की वर्ष 2016 की रिपोर्ट के बाद की गयी है, जो जल संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित की गयी थी ।
के.एस. वल्दिया कमेटी की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि पैलियोचैनल के साक्ष्यों से पता चलता है कि पौराणिक सरस्वती नदी वास्तव में मौजूद थी।