- भारतीय सैनिकों के बलिदान को स्मरण करने के लिए केसरिया रंग के ‘गेंदा’ (marigold) फूल का चयन किया गया है। यह फूल भारतीय बलिदान का प्रतीक होगा।
- 11 नवंबर, 2018 को जब प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति की 100वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी तब भारतीय बलिदान को इसी फूल के साथ स्मरण किया जाएगा।
- यह यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूटशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) की इंडिया रिमेम्बर्स परियोजना का हिस्सा हे।
- यूएसआई नई दिल्ली स्थित सुरक्षा एवं रक्षा सेवा थिंक टैंक है।
- गेंदा फूल का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह फूल सभी जगह आसानी से उपलब्ध है साथ ही केसरिया रंग बलिदान का द्योतक है।
- उल्लेखनीय है कि प्रथम विश्व युद्ध में बलिदान हुए लोगों को याद करने के लिए पोश्ता का फूल का इस्तेमाल विश्व भर में किया जाता है। भारत में पोश्ता के साथ गेंदा के फूल का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
क्या है इंडिया रिमेम्बर्स प्रोजेक्ट
- यह यूएसआई तथा कॉमनवेल्थ वार ग्रेव्स कमिशन (Commonwealth War Graves Commission: CWGC) द्वारा आरंभ की गई परियोजना है जो ‘इंडिया एंड ग्रेट वार’ शताब्दी स्मारक परियोजना का हिस्सा है। यह परियोजना 2014 में भारत का विदेश मंत्रलय व ब्रिटिश उच्चायुक्त के सहयोग से आरंभ की गई थी।