- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 अगस्त को एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 (Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Amendment Bill 2018) को मंजूरी दो दी है जिसके द्वारा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून 1989 में संसोधन किये गए हैं.
- इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब निष्प्रभावी हो गया है।
- अब फिर दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को फैसला सुनाया था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा। डीएसपी स्तर के अधिकारी मामले की पहले जांच करेंगे। अगर जांच में व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तब उसकी गिरफ्तारी होगी।
- इस संशोधन कानून में धारा-18 ए जोड़ी गई है, जो कहती है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच की आवश्यकता नहीं है और न ही जांच अधिकारी को आरोपी की गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है।
- संशोधित कानून में ये भी कहा गया है कि इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान (सीआरपीसी धारा 438) का लाभ नहीं मिलेगा। यानि अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। संशोधित कानून में कहा गया है कि इस कानून के उल्लंघन पर कानून में दी गई प्रक्रिया का ही पालन होगा।
Sc st act के संदर्भ मे कोई विडेओ क्यों नही