राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति भवन में केन्द्रीय विश्वविश्वद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान तथा बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशकों के सम्मेलन की मेजबानी की। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति ने पांचवे विजिटर पुरस्कार प्रदान किए।
विजिटर पुरस्कार
विजिटर पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को दिए जाते हैं। 2014 के कुलपतियों के सम्मेलन में इन पुरस्कारों को शुरू करने की घोषणा की गई थी तथा 2015 में पहली बार इन्हें प्रदान किया गया। इसका उद्देश्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और विश्व में उपलब्ध अध्ययन के बेहतर तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा देना है।
ये पुरस्कार सामाजिक विज्ञान , कला, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान और माइक्रोबॉयोलॉजी सहित विभिन्न विषयों में नवीन अनुसंधान कार्यों के लिए दिए गए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का उद्देश्य लगातार विकसित होते हुए खुद को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होना चाहिए। यह ऐसा काम है जिसमें कुलपति और निदेशकों को कुशल नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को सबसे पहले देश में सर्वश्रेष्ठ बनने और एक दूसरे के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद, उन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से प्रतिस्पर्धा करने की इच्छा करनी चाहिए। श्री कोविंद ने कहा कि लेकिन प्रतिस्पर्धा के स्तर तक पहुंचने के लिए यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय पहले आपस में, अन्य राज्यों और निजी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करें और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नेतृत्व करने वाले कुलपतियों और निदेशकों को चाहिए कि वह अपने छात्रों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने का काम करें। उन्होंने कहा कि कक्षाओं और प्रयोगशालाओं से परे, छात्रों को एनएसएस या ऐसे ही अन्य संगठनों के माध्यम से सामाजिक रूप से उन्मुख उद्यमों के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो विश्वविद्यालय पिछड़े क्षेत्रों में स्थित हैं, उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने आसपास के समुदायों के कल्याण के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि शैक्षिक समुदाय और स्थानीय उद्योग के बीच सार्थक संबंध विकसित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।