निर्वाचन आयोग ने आवश्यक सेवाओं के अनुपस्थित मतदाताओं, 80 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और निर्दिष्ट दिव्यांग मतदाताओं (essential services, Senior citizens of more than 80 years and marked PwD electors) को डाक मतपत्र की प्रक्रिया की सुविधा देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों और मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) पर काम करना शुरू कर दिया है। इन दिशा-निर्देशों में इस तरह के मतदाताओं की पहचान करना, संपर्क करने के तरीकों, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के निर्दिष्ट केंद्रों में संग्रह के साथ-साथ मतदान की विधियों का उल्लेख होगा। आयोग भी मतदाताओं को इस नई सुविधा से अवगत कराने के लिए अपनी ‘स्वीप’ पहल के तहत व्यक्तिगत संपर्क करने सहित अनेक कदम उठा रहा है, ताकि ये मतदाता अपने-अपने तरीके से अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें। आयोग ने 2 सितम्बर, 2019 को केन्द्र सरकार (विधि एवं न्याय मंत्रालय) को अपनी सिफारिश पेश की थी और उसे अब संबंधित अधिसूचना प्राप्त हो गई है।
उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करने पर विशेष जोर देता रहा है कि दिव्यांग मतदाताओं (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिकों को हर तरह की सुविधा देनी चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया में उनकी व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो सके। पेक्षाकृत अधिक दिव्यांगता तथा रेलवे, राज्य परिवहन एवं उड्डयन जैसी आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मियों के मतदान केन्द्रों पर आने में असमर्थता को ध्यान में रखते हुए आयोग ने 22 अक्टूबर, 2019 को विधि एवं न्याय मंत्रालय से इस आशय की सिफारिश की थी। तदनुसार, केंद्र सरकार ने विभिन्न नियमों में संशोधन किए।
इन संशोधनों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :
- चुनाव के लिए ‘अनुपस्थित मतदाता’ (Absentee voters) की अवधारणा शुरू की गई है और इसके साथ ही परिभाषित की गई है।
- ‘अनुपस्थित मतदाता’ से आशय ऐसे व्यक्ति से है, जिसे अधिनियम की धारा 60 के अनुच्छेद (सी) के तहत अधिसूचित किया जा सकता है, और जो उपर्युक्त अधिसूचना में उल्लिखित आवश्यक सेवाओं में कार्यरत है, और जो वरिष्ठ नागरिक अथवा दिव्यांगजनों की श्रेणी में शामिल हैं (नियम 27ए (एए)।
- ‘दिव्यांग’ से आशय ऐसे व्यक्ति से है, जिसे मतदाता सूची के डेटाबेस में दिव्यांग के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
- इस हिस्से के प्रयोजन के लिए ‘वरिष्ठ नागरिक’ से आशय ऐसे मतदाता से है, जो अनुपस्थित मतदाताओं की श्रेणी में आता है और जिसकी उम्र 80 साल से अधिक है।
- अनुपस्थित मतदाता के मामले में आवेदन ‘फॉर्म 12डी’ में करना होगा और उसमें आवश्यक विवरण दर्ज होंगे तथा इसका सत्यापन वरिष्ठ नागरिकों अथवा दिव्यांगजन को छोड़ अनुपस्थित मतदाता के लिए निर्दिष्ट मुख्य अथवा नोडल अधिकारी द्वारा किया जाएगा। इसे चुनाव की अधिसूचना की तिथि से पांच दिनों के भीतर रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंचाना होगा।
- अनुपस्थित मतदाता के मामले में डाक मतपत्र केन्द्र को वापस कर दिया जाएगा, ताकि नियम 27एफ के उप-नियम (3) के तहत वोट को दर्ज किया जा सके। इसके साथ उस निर्देश को ध्यान में रखना होगा, जिसे निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया जा सकता है।
इन दो श्रेणियों के मतदाताओं यानी 80 साल से अधिक उम्र के मतदाता और मतदाता सूची में निर्दिष्ट दिव्यांग मतदाताओं के पास यह विकल्प होगा कि वे मतदान के दिन या तो अनुपस्थित मतदाता अथवा एक नियमित मतदाता के रूप में अपना वोट डालें। यदि इन श्रेणियों के अंतर्गत आने वाला कोई मतदाता जल्दी वोट डालना चाहता है तो उसे चुनाव संचालन नियम, 1961 के संशोधित नियम 27सी के तहत एक नये फॉर्म 12डी में आवेदन करना होगा, जिसे चुनाव अधिसूचना की तिथि से पांच दिनों के भीतर रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंचाना होगा। इस तरह के आवेदन की प्राप्ति के बाद मतदाता को एक डाक मतपत्र जारी किया जाएगा, जिसे अपना वोट दर्ज करने के बाद निर्दिष्ट केन्द्र में जमा कराना होगा।
निर्वाचन आयोग इन सभी श्रेणियों के मतदाताओं के लिए आसान वोटिंग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नई पहल से आयोग इस बात को लेकर आश्वस्त है कि 80 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के पास अपने घर से ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा। हालांकि, दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में इस तरह के मतदाताओं के पास या तो निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए डाक मतपत्र के जरिए मतदान करने अथवा अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए मतदान के दिन मतदान केंद्र जाकर वोट डालने का विकल्प होगा।