- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 नवंबर 2018 को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर के लिए एक ऐतिहासिक सहयोग एवं संपर्क कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री ने 12 महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनसे देश भर में एमएसएमई के विकास और विस्तार के साथ-साथ उन्हें सहूलियतें देने में मदद मिलेगी।
- एमएसएमई क्षेत्र की सहूलियत से जुड़े पांच महत्वपूर्ण पहलू हैं। इनमें ऋणों तक पहुंच, बाजार तक पहुंच, तकनीकी उन्नयन, कारोबार में सुगमता और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की भावना शामिल हैं।
12 घोषणाएं
- ऋणों तक पहुंच
- प्रथम घोषणा के रूप में प्रधानमंत्री ने एमएसएमई को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए 59 मिनट के लोन पोर्टल का शुभारंभ करने का ऐलान किया। इस पोर्टल के जरिए सिर्फ 59 मिनट में एक करोड़ रुपये तक के ऋणों को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा सकती है। जीएसटी पोर्टल के जरिए इस पोर्टल का एक लिंक उपलब्ध कराया जाएगा। प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि ‘नये भारत’ में किसी को भी बार-बार बैंक के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
- प्रधानमंत्री ने दूसरी घोषणा के रूप में सभी जीएसटी पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए दो प्रतिशत ब्याज सब्सिडी देने का उल्लेख किया। शिपमेंट से पूर्व और शिपमेंट के बाद की अवधि में ऋण लेने वाले निर्यातकों के लिए प्रधानमंत्री ने ब्याज की छूट तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने की घोषणा की।
- तीसरी घोषणा यह कि पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली सभी कंपनियों को अब आवश्यक रूप से व्यापार प्राप्तियां ई-डिस्काउंटिंग प्रणाली (टीआरईडीएस) पोर्टल में शामिल किया जाए। इस घोषणा में शामिल होने से उद्यमी अपनी आगामी प्राप्तियों के आधार पर बैंकों से ऋण ले सकेंगे। इससे उनके नकदी चक्र की समस्याएं हल हो जाएंगी।
- बाजार तक पहुंच
- चौथी घोषणा यह की कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां को अब 20 प्रतिशत की बजाय अपनी कुल खरीदारी की 25 प्रतिशत खरीदारी एमएसएमई से करने के लिए कहा गया है।
- पांचवी घोषणा महिला उद्यमियों से संबंधित हैं। एमएसएमई से की गई आवश्यक 25 प्रतिशत खरीदारी में से 3 प्रतिशत खरीदारी अब महिला उद्यमियों के लिए आरक्षित की गई हैं।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि डेढ़ लाख से अधिक आपूर्तिकर्ता अब जीईएम के साथ पंजीकृत हैं इनमें से 40 हजार एमएसएमई हैं। उन्होंने कहा जीईएम के माध्यम से अभी तक 14,000 करोड़ से भी अधिक मूल्य का लेनदेन हुआ है।
- छठी घोषणा यह की कि केंद्र सरकार के सभी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों को अब आवश्यक रूप से जीईएम का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने सभी विक्रेताओं को जीईएम से पंजीकृत कराना चाहिए।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन
- सातवीं घोषणा यह कि पूरे देश में 22 केंद्र बनाए जाएंगे और टूल रूम के रूप में 100 स्पोक्स स्थापित किए जाएंगे।
- कारोबार की सुगमता
- 8वीं घोषणा फार्मा कंपनियों के बारे में है। फार्मा क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए क्लस्टर बनाये जायेंगे। इन क्लस्टर के निर्माण की लागत का 70 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी।
- 9वीं घोषणा सरकारी प्रक्रियाओं के सरलीकरण के बारे में है। 9वीं घोषणा यह है कि आठ श्रम कानूनों और 10 केन्द्रीय नियमों के तहत रिटर्न अब साल में एक ही बार फाइल किये जायेंगे।
- 10वीं घोषणा यह है कि अब प्रतिष्ठानों का निरीक्षक द्वारा किये जाने वाला दौरा कंप्यूटर आधारित औचक आवंटन के जरिये तय किया जायेगा।
- इकाई स्थापित करने के संबंध में उद्यमियों को दो क्लीयरेंस की जरूरत होती है- पर्यावरण क्लीयरेंस और इकाई स्थापित करने की रजामंदी। 11वीं घोषणा यह है कि वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण नियमों के तहत इन दोनों क्लीयरेंस को एकल अनुमति में समाविष्ट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रिटर्न, स्व–प्रमाणीकरण के जरिये स्वीकार किया जायेगा।
- 12वीं घोषणा के रूप में एक अध्यादेश लाया गया है, जिसके तहत कंपनी अधिनियम के संबंध में मामूली उल्लंघनों के लिए उद्यमी को अदालतों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। उन्हें आसान प्रक्रियाओं के तहत दुरुस्त कर लिया जायेगा।
कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा
- प्रधानमंत्री ने एमएसएमई के सेक्टर के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का भी उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक मिशन शुरू किया जायेगा कि उन्हें जन-धन खाता, भविष्य निधि और बीमा उपलब्ध हो।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि इन फैसलों से भारत में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने में सहायता होगी। उन्होंने कहा कि अगले 100 दिनों के दौरान इस आउटरीच कार्यक्रम के कार्यान्वयन की गहन निगरानी की जायेगी।