- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 दिसंबर, 2018 को असम में भारत का सबसे लंबा रेलवे-सड़क पुल बोगीबील राष्ट्र को समर्पित किया। यह सेतु असम के डिब्रूगढ़ और धेमाजी जिलों के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्मित है।
- आर्थिक और सामरिक दृष्टि से राष्ट्र के लिए इसका अत्यधिक महत्व है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर कारेंग चापोरी में एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने इस पुल को पार करने वाली सबसे पहली यात्री रेलगाड़ी को भी झंडी दिखा कर रवाना किया।
- बोगीबील पुल असम समझौता 1985 का हिस्सा था तथा इसे 1997-98 में मंजूरी मिली थी। इस पुल के नींव का पत्थर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री एच.डी.देवगोडा ने 22 जनवरी, 1997 ने डाली थी।
- ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस सेतु की लंबाई 4.94 किलोमीटर है।
- यह पुल भारतीय सशस्त्र बलों को अरुणाचल प्रदेश में जवान एवं सामग्रियों की त्वरित पहुंच सुनिश्चित कराएगा।
- यह पुल असम एवं अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी को 600 किलोमीटर कम कर देगा।
- इस्पात के बने सामान्य पुलों के विपरीत इसमें एक भी नट या बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
- यह भारत का प्रथम पूर्ण वेल्डेड सेतु है जो इसे प्रतिकूल मौसम से रक्षा करेगा।
- यह पुल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी का एक चमत्कार है और अत्यधिक सामरिक महत्व का है। यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरियों को कम करता है। यह इस क्षेत्र में जीवन को काफी आसान बनाएगा।
- यह पुल इस क्षेत्र के लोगों के लिए कई पीढ़ियों से एक सपना था, जो अब एक वास्तविकता है।
- डिब्रूगढ़ क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और ब्रह्मपुत्र के उत्तर में रहने वाले लोग अब इस शहर तक अधिक आसानी से पहुंच सकते हैं।