संसद ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक-2019 (Transgender Persons (Protection of Rights) Bill) पारित कर दिया । राज्यसभा ने इसे 26 नवंबर 2019 को ध्वनि मत से मंज़ूरी दी, जबकि लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्ति उसे माना गया है, जिसका लिंग जन्म से समय पुरुष या स्त्री के लिंग से मेल नहीं खाता हो। विधेयक के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने घर सहित अन्य जगहों पर रहने का अधिकार होगा।
उसके साथ नौकरी, शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवा, मनोरंजन स्थल और आम लोगों के लिये उपलब्ध अवसरों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
इस विधेयक के माध्यम से शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा, कहीं आने-जाने, किसी प्रॉपर्टी में निवास करने पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
इस विधेयक के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में रहने और उसमें शामिल होने का अधिकार प्रदान करता है। यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को उसका परिवार देख-रेख करने में अक्षम है तो उसे न्यायालय के आदेश के पश्चात पुनर्वास केंद्र में भेजा सकता है।
किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति द्वारा आवेदन करने पर जिला स्क्रीनिंग कमेटी के सुझावों पर जिला मजिस्ट्रेट उसकी पहचान से संबंधित प्रमाणपत्र जारी कर सकता है।
इस विधेयक के द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भीख मंगवाने, बंधुआ मजदूरी करवाने, सार्वजनिक स्थान का प्रयोग करने से मना करने तथा यौन उत्पीड़न को अपराध ठहराया गया है। ऐसे अपराधों के लिए छह महीने से दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक के माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को प्राप्त अधिकारों के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद् के गठन का प्रस्ताव किया गया है। इस परिषद् का अध्यक्ष केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री होंगे।