गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 पारित

  • राज्यसभा ने 2 अगस्त, 2019 को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Bill, 2019) पारित कर दिया। इस विधेयक के माध्यम से गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट 1967 में संशोधन किया गया है। लोकसभा ने 24 जुलाई, 2019 को इस विधेयक को पारित कर दिया था।
  • व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करनाः इस विधेयक के माध्यम से अब व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यूएपीए या किसी अन्य कानून में व्यक्तिगत आतंकवादी को नामित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो उसके सदस्य एक नया संगठन बनाते हैं। व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के मामले पर श्री शाह ने यासीन भटकल का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि 2009 में ही यासीन भटकल को आतंकवादी घोषित कर दिया गया होता तो परिस्थितियाँ अलग होती। उनका कह्ना था कि संस्था व्यक्ति से बनती है और घटना व्यक्ति करता है संस्था नहीं करती है इसलिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करना आवश्यक है। उनका कह्ना था कि आतंकवाद आज पूरे विश्व की समस्या है इसलिये दुनिया के कई देशों के अंदर अपनेअपने कानून बनाए गए हैं। उन्होँने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व के कईदेशों में व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जाता है।
  • डीजी एनआईए को संपत्ति को जब्त करने का अधिकार: वर्तमान में यूएपीए के प्रावधानों के अनुसार, आतंकवाद से जुड़ी संपत्ति को केवल उस राज्य के डीजीपी द्वारा लिखित अनुमोदन के साथ जब्त किया जा सकता है, जिसमें ऐसी संपत्ति स्थित है। कई बार आतंकी विभिन्न राज्यों में अपनी संपत्ति रखते हैं। ऐसे मामलों में अलगअलग राज्यों के डीजीपी की मंजूरी लेना मुश्किल हो जाता है और जिसके कारण होने वाली देरी से अभियुक्तों की संपत्ति आदि को स्थानांतरित किया जा सकता है। इसलिए जल्द से जल्द आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करना आवश्यक है। यह संशोधन डीजी एनआईए को ऐसी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है जो एनआईए द्वारा की जा रही जांच के संबंध में आतंकवाद से जुड़ी है। उन्होँने यह भी कहा कि एनआएए की सजा की दर 91 प्रतिशत है जो वैश्विक स्तर पर सर्वंश्रेस्ठ है।
  • निरीक्षक भी कर सकेगा जांच: पहले जहां यूएपीए की धारा 43 के तहत डीएसपी स्तर या उससे ऊपर के अधिकारी को मामले की जांच का अधिकार था। संशोधन के माध्यम से अब यह शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) एवं उससे ऊपर के अधिकारी को भी प्रदान किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री के अनुसार एनआईए में जांच अधिकारियों की कमी को देखते हुए इस कदम से मदद मिलेगी।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *