- लोकसभा ने 24 जुलाई, 2018 को ‘भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक 2018 (Prevention of Corruption (Amendment) Bill, 2018 ) को पारित कर दिया। राज्य सभा में यह विधेयक 19 जुलाई, 2018 को ही पारित हो गया था।
- पहली बार इस एक्ट में रिश्वत देने को भी अपराध की श्रेणी में लाया गया है। रिश्वत देना अब अपराध है जिसके तहत तीन से सात साल की सजा हो सकती है। लेकिन यदि किसी को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जाता है तब अपराध नहीं माना जाएगा परंतु इसकी रिपोर्ट सात दिनों के भीतर देना होगा। इससे पहले एक्ट में रिश्वत लेने वालों को तीन से सात साल की सजा का प्रावधान था।
- रिश्वत को ‘अनुचित लाभ’ की संज्ञा दी गई है जिसे पारिश्रमिक के अलावा रिश्वतखोरी नाम दिया गया है।
- प्रासंगिक प्राधिकार या सरकार की अनुमति के बिना पुलिस अधिकारी जांच की शुरूआत नहीं करेगा। रंगे हाथ पकड़े जाने पर यह शर्त नहीं लागू होती।
- किसी पूर्व अधिकारी के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान किए गए अपराधों की जांच के लिए अनुमोदन की जरूरत होगी। पहले केवल सेवारत्त अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए अनुमोदन की जरूरत पड़ती थी।
- जब्त की गई संपत्ति को संलग्न के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान संशोधित एक्ट में किया गया है।
- पारित एक्ट के अनुसार विशेष न्यायाधीश द्वारा सुनवाई दो वर्षों के भीतर कर लिया जाएगा। यदि इस अवधि में सुनवाई पूरी नहीं हो पाती है तो प्रत्येक छह माह पर विलंब के कारणों को रिकॉर्ड करना होगा परंतु किसी भी शर्त पर इसे चार साल में जरूर पूरी करनी होगी।
- ज्ञातव्य है कि भ्रष्टाचार पर रोक अधिनियम 1988 में संशोधान के लिए भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक 2013 को राज्यसभा में 19 अगस्त, 2013 को पेश किया गया था। बाद में संसद की स्थायी कमेटी के पास भेज दिया गयाा। विधि आयोग ने अपनी 254वीं रिपोर्ट में भी इसकी सिफारिश की। कमेटी की सिफारिश के पश्चा 19 जुलाई, 2018 को इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए लाया गया और इसी दिन राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया।
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