- जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 व अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने वाले तथा राज्य का पुनर्गठन कर जम्मू-कश्मीर को दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले विधेयकों को राज्यसभा ने 5 अगस्त, 2019 तथा लोकसभा ने 6 अगस्त, 2019 को पारित कर दिया।
- गृहमंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिये जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के अंतर्गत दो संकल्प और एक बिल विचार तथा पारित करने के लिए प्रस्तुत किये थे –
- 370 (1) के प्रावधानों के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लिए संविधान का अध्यादेश।
- 370 (3) के अनुसार 370 को खत्म करने का संकल्प
- जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन के लिए विधेयक
- अनुच्छेद 370 को पूरी तरह समाप्त करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 367 में एक क्लॉज जोड़ा गया है। इसमें ‘संविधान सभा’ की जगह ‘विधानसभा’ शब्द प्रतिस्थापित किया गया है। अब अनुच्छेद-370 का खंड-1 केवल लागू रहेगा। शेष खंड समाप्त कर दिए गए हैं। खंड-1 भी राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे भी हटाया जा सकता है। अनुच्छेद 370 के खंड-1 के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह कर राष्ट्रपति, संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 370 की समाप्ति से अब जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान नहीं होगा। अब देश के सारे कानून वहां लागू होंगे। जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि पांच वर्ष का ही होगा। अब जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला लागू होगा। पहले जनहित में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले वहां लागू नहीं होते थे। महिलाओं पर पर्सनल कानून बेअसर हो जाएगा। इस संशोधन से सबसे बड़ी राहत जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को ही मिली है। संशोधन को जम्मू-कश्मीर की महिलाओ की आजादी के तौर भी देखा जा सकता है।
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को जम्मू कश्मीर व लद्दाख नामक दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है। जहां जम्मू-कश्मीर विधानसभा युक्त संघ शासित प्रदेश होगा वहीं लद्दाख संघ शासित प्रदेश विधानसभा रहित होगा। जम्मू-कश्मीर की स्थिति पुदुचेरी जैसी होगी। दोनों को केंद्र सरकार उप-राज्यपाल के माध्यम से शासित करेगी। जम्मू-कश्मीर यूटी से पांच लोकसभा होंगे जबकि विधानसभा के 107 सदस्य होंगे। लद्दाख से लोकसभा में एक प्रतिनिधि होंगे।
- श्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में निजी निवेश के दरवाजे खुल जाएंगे, जिससे वहां विकास की संभावना बढ़ेगी। निवेश में वृद्धि से रोजगार सृजन में वृद्धि होगी और राज्य में सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में और सुधार होगा। उन्होंने कहा कि उद्योगों के विकास के लिये निजी लोगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से निवेश आएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।