एनडीए के पूर्व सहयोगी टीडपी द्वारा 20 जुलाई, 2018 को लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा ने खारिज कर दिया।
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए को मतदान करने वाले 451 सदस्यों में से 325 मत मिले जबकि टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में केवल 126 सदस्यों ने मत दिया।
- लोकसभा के कुल वर्तमान 534 सांसदों में से 451 ने ही मतदान में हिस्सा लिया। इस तरह अविश्वास प्रस्ताव को पारित होने के लिए 226 मत चाहिए था।
- अविश्वास प्रस्ताव पर जब मतदान आरंभ हुअ तब शिवसेना, बीजेडी एवं टीआरएस के सदस्य लोकसभा से बाहर चले गए। वहीं एआईडीएमके के सदस्यों ने सरकार के पक्ष में यानी अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मत दिया।
- वर्ष 2014 में सत्ता आयी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ यह पहला अविश्वास प्रस्ताव था। 15 वर्षों के पश्चात किसी सरकार के खिलाफ यह पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इससे पहले वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ सोनिया गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। वैसे लोकसभा में चर्चा होने वाला यह अब तक का 27वां अविश्वास प्रस्ताव था।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
- भारतीय संविधान में न तो विश्वास प्रस्ताव न ही अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख है। किंतु संविधान के अनुच्छेद 75 (3) में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् के सदस्य सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसी के आधार पर लोकसभा नियम में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बात कही गई है। इसके लिए लोकसभा का कोई भी सदस्य 50 सदस्यों के समर्थन से मंत्रिपरिषद् के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभाध्यक्ष से अनुमति मांगता है।
- भारत में किसी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में (तृतीय लोकसभा) आचार्य जे-बी-कृपलानी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ लाया गया था। इस पर चर्चा 21 घंटे तक चली थी।
- अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा पहली कोई सरकार जो गिरी वह थी 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार जिनके खिलाफ वाई-वी-चौहान ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। नौ घंटे तक चली बहस के पश्चात मतदान होने से पहले ही प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने त्यागपत्र दे दिया था।
- अब तक के कुल 27 अविश्वास प्रस्तावों में से 15 अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी के विभिन्न प्रधानीमंत्रित्व काल में लाया गया था।
- अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाने पर मंत्रिपरिषद् को त्यागपत्र देनी होती है जिनमें वे मंत्रि भी शामिल होते हैं जो राज्यसभा के भी सदस्य हैं।
- अविश्वास प्रस्ताव किसी एक सदस्य के खिलाफ के नहीं वरन् पूरी मंत्रिपरिषद् के खिलाफ ही लाई जा सकती है।