दिसंबर 2019 के अंतिम सप्ताह में गुजरात एवं राजस्थान के कुछ हिस्सों में पड़ोसी देश पाकिस्तान से टिड्डियों का जबरदस्त हमला ( locust) हुआ।
इस वजह से गुजरात में विशेष रूप से बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद हुआ। जीरा, कपास, आलू, चारागाह, जटरोफा की खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया। गुजरात के चार जिलों में से बनासकांथा सर्वाधिक प्रभावित हुआ।
विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 1993-94 के पश्चात गुजरात ने टिड्डियों का ऐसा हमला नहीं देखा था।
वैसे कहा जा रहा है कि टिड्डियों के मौजूदा हमलों के बारे में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने पहले ही आगाह किया था।
यह भी कहा जा रहा है कि ये टिड्डियां फरवरी 2019 में सूडान एवं इरिट्रिया से अपनी यात्र आरंभ किया। इसके पश्चात लाल सागर तट होते हुए सऊदी अरब में प्रवेश किया, फिर उसके पश्चात ईरान एवं पाकिस्तान में प्रवेश किया। वहां से ये गुजरात एवं राजस्थान में हमले आरंभ किए।
मरुस्थली टिड्डियाें यानी ( desert locust: Schistocerca gregaria) शिस्टोसेरका ग्रेगारिया का एक छोटी सी झुंड बहुफसल आहारी होती हैं और एक दिन में इतना खा जाती हैं जितना 10 हाथी, 25 ऊंट या 2500 आदमी खा सकता है।
भारत में टिड्डियों के हमलों पर नियंत्रण के लिए ‘टिड्डी चेतावनी संगठन’ ( Locust Warning Organization: LWO ) का गठन 1939 में भारतीय कृषि संगठन के अधीन किया गया है। इसका मुख्यालय जोधपुर में स्थित है।