न्यायमूर्ति जे.एम.पंचाल की अध्यक्षता वाला तीन सदस्यीय महादयी नदी ट्रिब्यूनल ने 14 अगस्त, 2018 को अपनी सिफारिशें केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक व गोवा के बीच महादयी नदी का पानी समान रूप् से वितरित करने के लिए वर्ष 2010 में इस ट्रिब्यूनल का गठन किया गया। ट्रिब्यूनल के अन्य सदस्य हैंः न्यायूमर्ति विनय मित्तल एवं न्यायमूर्ति पी.एस.नारायणा।
- ट्रिब्यूनल ने उत्तरी कर्नाटक को पानी उपलब्ध कराने के लिए भांदुरा बांध को 2.18 टीएमसी फीट तथा कलासा बांध को 1.72 टीएमसी फीट पानी देने की सिफारिश की है। इस तरह कर्नाटक को कुल 13.42 टीएमसी (थाउजैंड मिलियन क्युबिक) फीट पानी मिलेगा जो उसकी 36.5 टीएमसी फीट से कम है।
- ट्रिब्यूनल ने महाराष्ट्र को पेयजल व सिंचाई के लिए 1.33 टीएमसी फीट पानी तथा गोवा को 59 प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए अधिकतम 24 टीएमसी फीट पानी देने की सिफारिश की है। गोवा को पहले भी 9.39 टीएमसी फीट पानी उपयोग की अनुमति है।
- ज्ञातव्य है कि महादयी नदी के जल को कहीं और मोड़ने का विरोध करता रहा है। उसका तर्क रहा है कि उसे खुद के उद्देश्य के अलावा पारिस्थितिकीय बहाव को बनाये रखने के लिए पानी की जरूरत है।
- ज्ञातव्य है कि महादयी नदी का केवल 5 प्रतिशत पानी का ही उपयोग हो रहा है।
महादयी नदी के बारे में
- 77 किलोमीटर लंबी महादयी नदी, जिसे गोवा में मांडवी नदी कहा जाता है, पश्चिम घाट में बेलागाम जिला (कर्नाटक) में भीमगढ से उत्तपन्न होती है। यह नदी 29 किलोमीटर कर्नाटक में तथा 52 किलोमीटर गोवा में बहती है। हालांकि मुख्य नदी महाराष्ट्र को स्पर्श नहीं करती है परंतु इसके जलग्रहण क्षेत्र में महाराष्ट्र का कुछ क्षेत्र भी आता है। इसलिए वह भी इस विवाद का हिस्सा है।
- यह नदी अरब सागर में मिल जाती है।
- कर्नाटक इस नदी की दो शाखाओं बांदुरी नदी व कलासा नदी पर दो बांध बनाकर इसके पानी को मोड़ना चाहती है जिसका गोवा विरोध करता रहा है।