सरोगेसी विनियमन विधेयक-2019 लोकसभा में 5 अगस्त 2019 को पारित हो गया है।
- इसमें कमशि्र्यल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने लेकिन परोपकार (altruistic surrogacy) के लिए इसकी अनुमति देने का प्रावधान किया गया है।
- इसमें सरोगेसी को इस प्रथा के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें कोई महिला माता पिता बनने के इच्छुक किसी दम्पति के बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद बच्चे को उन्हें सौंप देती है।
- स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि भारत हाल के वर्षों में सरोगेसी के केंद्र के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि देश में अवैध रूप से करीब दो हजार से तीन हजार सरोगेसी क्लीनिक चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य सरोगेसी के प्रभावी विनियमन को सुनिश्चित करना है और इससे किराये की कोख वाली मां और पैदा हुए बच्चों का शोषण रोका जा सकेगा।
- डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि न्यूजीलैंड, ब्रिटेन,चीन, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन और स्विटजरलैंड सहित कई देशों में सरोगेसी के कारोबार पर प्रतिबंध है और इसे अवैध माना जाता है।
सरोगेसी (नियमन) विधेयक
- सरोगेसी (नियमन) विधेयक में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड तथा राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में राज्य सरोगेसी बोर्ड तथा उचित प्राधिकरण स्थापित करके सरोगेसी को नियमों के दायरे में लाने का प्रस्ताव है।
- प्रस्तावित विधेयक सरोगेसी का कारगर नियमन, वाणिज्यिक सरोगेसी निषेध तथा प्रजनन क्षमता से वंचित भारतीय दंपत्तियों को परोपकारी सरोगसी की अनुमति सुनिश्चित करता है।
- विधेयक संसद द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के तीन महीने के भीतर राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश राज्य सरोगेसी बोर्ड और राज्य का उचित प्राधिकरण गठित करेंगे।
- प्रभावी होने पर अधिनियम देश में सरोगेसी (किराए की कोख) सेवाओं का नियमन करेगा और सरोगेसी में अनैतिक व्यवहारों को नियंत्रित करेगा, किराए की कोख का वाणिज्यिकीकरण रोकेगा और सरोगेसी से बनने वाली माताएं और सरोगेसी से पैदा होने वाले बच्चों का संभावित शोषण रोकेगा। वाणिज्यिक सरोगेसी निषेध में मानव भ्रूण तथा युग्मक की खरीद और बिक्री शामिल हैं। प्रजनन क्षमता से वंचित दंपत्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए निश्चित शर्तों को पूरा करने पर और विशेष उद्देश्यों के लिए नैतिक सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी।
- नैतिक सरोगेसी सुविधा के इच्छुक प्रजनन क्षमता से वंचित विवाहित दंपत्तियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त सरोगेसी से माता बनने वाली महिलाओं और सरोगेसी से जन्म लेने वाले बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
पृष्ठ भूमि
- विभिन्न देशों से दंपत्ति भारत आते हैं और भारत सरोगेसी केन्द्र के रूप में उभरा है। लेकिन अनैतिक व्यवहारों, सरोगेसी प्रक्रिया से माता बनने वाली महिलाओं का शोषण,सरोगेसी प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चों का परित्याग और मानव भ्रूण तथा युग्मक लेने में बिचौलियों की धोखाधड़ी की घटनाएं चिंताजनक हैं।
- भारत के विधि आयोग की 228 वीं रिपोर्ट में वाणिज्यिक सरोगेसी के निषेध और उचित विधायी कार्य द्वारा नैतिक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति की सिफारिश की गई है।