भरतीय रेल की पर्यटन इकाई ‘ भारतीय रेल खान-पान और पर्यटन निगम लिमिटेड’ (आईआरसीटीसी) ने गोल्डन चैरियट ट्रेन के संचालन और प्रचार के लिए 19 नवंबर 2019 को नयी दिल्ली में रेल राज्य मंत्री श्री सुरेश सी अंगड़ी और कर्नाटक के पर्यटन मंत्री श्री सी टी रवि की मौजूदगी में कर्नाटक राज्य पर्यटन निगम -केएसटीडीसी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री विनोद कुमार यादव के अलावा बोर्ड के अन्य सदस्य तथा आईआरसीटीसी और केएसटीडीसी के अधिकारी भी मौजूद थे।
केएसटीडीसी जल्दी ही रेलगाड़ी का परिचालन आईआरसीटीसी को सौंपने जा रहा है। आईआरसीटीसी केरल के पर्यटन स्थलों के अनुरूप गोल्डन चैरियट ट्रेन के परिचालन समय और ठहराव वाले स्थानों में बदलाव करने जा रहा है। ट्रेन की समय सारिणी में यह बदलाव राज्य के इतिहास, संस्कृति, वन्य जीव और प्राकृतिक आकर्षणों के अनुरूप होगा। इसमें बांदीपुर, मैसूर, हालीबीड, चिकमंगलूर, हाम्पी, बीजापुर और गोवा जैसे पर्यटन स्थलों को जोड़ने का प्रस्ताव भी है। आईआरसीटीसी रेलगाड़ी की आंतरिक साज-सज्जा में बदलाव करने के बाद मार्च 2020 से इसका परिचालन शुरु कर देगा।
श्री अंगड़ी ने कहा कि यह ट्रेन दक्षिण भारत में पर्यटन को बढ़ावा देगी। मंत्री ने इस परियोजना की सफलता की कामना की। इस अवसर पर कर्नाटक के पर्यटन मंत्री ने कहा कि कर्नाटक सरकार और केएसटीडीसी 2008 से ही गोल्डन चैरियट ट्रेन का संचालन और रखरखाव देख रही है। यह पूरे दक्षिण भारत की पहली और एकमात्र लक्जरी रेलगाड़ी है। उन्होंने कहा कि यह रेलगाड़ी इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और धरोहरों का दर्शन कराती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आईआरसीटीसी और केएसटीडीसी के बीच आज हुआ समझौता दोनों के लिए लाभदायी होगा और इस साझेदारी से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
गोल्डन चैरियट रेलगाड़ी
गोल्डन चैरियट रेलगाड़ी का परिचालन 2008 में शुरु हुआ था। यह कर्नाटक सरकार और भारतीय रेल का संयुक्त उपक्रम है। अठारह डिब्बों वाली इस रेलगाड़ी में यात्रियों के लिए 44 कमरे हैं जिसमें एक बार में 84 यात्री सफर कर सकते हैं। यह रेलगाड़ी कर्नाटक तथा दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की यात्रा कराती है।
आईआरसीटीसी को देशभर में कई पर्यटन रेल परियोजनाओं को संचालित करने की विशेषज्ञता और अनुभव है। यह बेहद लोकप्रिय महाराजा एक्सप्रेस लक्जरी रेलगाड़ी का भी संचालन करती है। इसका परिचालन 2010 में शुरु किया गया था।