- आईएसटीएस से जुड़ी भारत की पहली पवन विद्युत परियोजना (ISTS: Inter State Transmission System) 24.08.2018 को मेसर्स ऑस्ट्रो द्वारा चालू की गई।
- फरवरी, 2017 में भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) ने भारत में पहली बार सौर विद्युत परियोजनाओं की नीलामी की थी, जिसमें 3.46 रुपये का शुल्क निकाला गया, जोकि उस समय के शुल्कों से बहुत कम था। यह बोली 1000 मेगावाट की परियोजनाओं को आईएसटीएस (अंतर्राज्य ट्रांसमिशन प्रणाली) से जोड़ने के लिए थी, जिसमें एक राज्य में बनी बिजली को कम नवीकरणीय ऊर्जा वाले राज्यों में संप्रेषित करना था। माइथ्रा, इनॉक्स, ऑस्ट्रो, ग्रीन इन्फा तथा अडानी को बोली में जीत मिली थी।
- इस बोली के हिस्से के रूप में मेसर्स ऑस्ट्रो कच्छ विंड प्राइवेट लिमिटेड ने 250 मेगावाट क्षमता का ठेका देने का पत्र 05.04.2017 को जारी किया।
- यह परियोजना 18 महीने की अवधि में चालू की जानी थी। भुज (गुजरात) स्थित 126 मेगावाट की आंशिक क्षमता वाली परियोजना समय से पहले 24.08.2018 को मेसर्स ऑस्ट्रो द्वारा चालू की गई।
- इस परियोजना से बनी बिजली बिहार, ओडिशा, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश द्वारा खरीदी जा रही है।
- पहली नीलामी की व्यवस्था पूर्व के राज्य विशेष फीड इन टैरिफ (एफआईटी) मॉडल (feed-in-Tariff (FiT) model) से अलग देशव्यापी बाजार प्रेरित व्यवस्था है। यह परिवर्तनकारी व्यवस्था है। इस निविदा के साथ एसईसीआई द्वारा 7250 मेगावाट क्षमता की पवन विद्युत परियोजनाओं के लिए पांच निविदाएं लाई गई हैं।
- 7250 मेगावाट में से 6050 मेगावाट क्षमता के लिए ठेके दे दिये गये हैं। केन्द्रीय एजेंसी एसईसीआई तथा एनटीपीसी के अतिरिक्त तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात की एजेंसियों ने निविदा बोली के आधार पर परियोजनाएं दी हैं।
- 126 मेगावाट की यह आईएसटीएस परियोजना बाजार द्वारा निकाले गये शुल्क के आधार पर पवन ऊर्जा में क्षमता संवर्द्धन की शुरूआत है और यह 2022 तक सरकार के 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा भंडार बनाने के लक्ष्य के अनुरूप है।
Hello sir
I’m like yours teaching matter