- भारतीय मौसमविज्ञान विभाग द्वारा 15 अप्रैल, 2019 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 2019 के दक्षिण पश्चिम मानसून मौसम (जून-सितंबर) के सामान्य रहने की संभावना है।
- आईएमडी के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानूसनी वर्षा दीर्घावधि औसत यानी एलपीए (Long Period Average: LPA) का 96 प्रतिशत रहने की संभावना है।
- 1951 से 2000 तक की अवधि के लिए समूचे भारत में मानसूनी वर्षा का दीर्घावधिक औसत 89 सेंटीमीटर है और मानसूनी वर्षा का वर्गीकरण इसी औसत के आधार पर किया जाता है।
- हालांकि इस वर्ष अल नीनो की संभावना बन रही है परंतु आईएमडी का मानना है कि मानसून मौसम के दौरान अल नीनो कमजेार रहेगा और उत्तरार्ध में इसकी तीव्रता कम रहेगी।
- प्रशांत महासागरीय अल नीनो/ला नीना तथा इंडियन ओशन डायपोल (आईओडी) भी भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग समूचे देश के लिए दक्षिण पश्चिम मानसून वर्षा (जून-सितंबर) के लिए दो बार पूर्वानुमान जारी करता है। प्रथम चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जबकि दूसरे चरण का पूर्वानुमान जून में जारी किया जाता है। भारत में मानसून का पूर्वानुमान के लिए दो मॉडल अपनाया जाता है सीएफएस मॉडल (जलवायु पूर्वानुमान मॉ डल) एवं एसईएफएस मॉडल (अत्याधुनिक सांख्यिकी एन्सेंबल मॉडल)।
मानसूनी वर्षा का पांच श्रेणियों में वर्गीकरण
- एलपीए के आधार भारत में मानसूनी वर्षा का पांच श्रेणियों में वर्गीकरण किया जाता हैः
- न्यूनः एलपीए का 90 प्रतिशत से कम
- सामान्य से कमः एलपीए का 90-96 प्रतिशत
- लगभग सामान्यः एलपीए का 96 से 104 प्रतिशत
- सामान्य से अधिकः एलपीए का 104 से 110 प्रतिशत
- अत्यधिकः एलपीए का 110 प्रतिशत से अधिक।