- भारत सरकार, त्रिपुरा और साबिर कुमार देबबर्मा के नेतृत्व में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्विपरा(एनएलएफटी-एसडी-National Liberation Front of Twipra ) के बीच 10 अगस्त, 2019 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- एनएलएफटी (एसडी) हिंसा के मार्ग को छोड़ने, मुख्यधारा में शामिल होने और भारत के संविधान का पालन करने के लिए सहमत हो गया है। संगठन ने अपने 88 सदस्यों के हथियार सहित आत्मसमर्पण करने पर भी सहमति जताई है। आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को गृह मंत्रालय की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना, 2018 के अनुसार आत्मसमर्पण लाभ दिया जाएगा। त्रिपुरा राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को आवास, भर्ती और शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करेगी। भारत सरकार त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के संबंध में त्रिपुरा सरकार के प्रस्तावों पर भी विचार करेगी।
- समझौता ज्ञापन पर गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) श्री सत्येंद्र गर्ग, त्रिपुरा के अपर मुख्य सचिव (गृह) श्री कुमार आलोक और एनएलएफटी (एसडी) के साबिर कुमार देबबर्मा और श्री काजल देबबर्मा ने हस्ताक्षर किए।
- समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के पश्चात, एनएलएफटी के प्रतिनिधियों ने बाद नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह से भेंट की।
एनएलएफटी
- एनएलएफटी पर 1997 से गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा हुआ है, यह संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमापार स्थित अपने शिविरों से हिंसा फैलाने जैसी गतिविधियों में शामिल रहा है।
- एनएलएफटी वर्ष 2005 से 2015 की अवधि के दौरान 317 उग्रवादी घटनाओं को अंजाम देते हुए हिंसक कार्रवाई की, जिसमें 28 सुरक्षा बलों और 62 नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
- एनएलएफटी के साथ 2015 में प्रारंभ हुई शांति वार्ता के बाद से इस संगठन ने 2016 के बाद कोई हिंसक कार्रवाई नहीं की है।