पहली बार, सीएसआईआर-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ( CSIR-National Geophysical Research Institute: NGRI ) द्वारा विकसित ‘भारत का जियोकेमिकल बेसलाइन एटलस’ ( Geochemical Baseline Atlas of India ) जारी किया गया है जिसका उपयोग नीति निर्माताओं द्वारा पर्यावरणीय क्षति का आंकलन किया जाएगा।
इस एटलस में 45 मानचित्र है जो देश में मिट्टी के नीचे की धातुओं, ऑक्साइड्स एवं तत्वों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
यह पृथ्वी के धरातल में संरचनात्मक परिवर्तन को बताएगा। इस मानचित्र के द्वारा उद्योगों एवं अन्य प्रदूषक स्रेातों द्वारा प्रदूषण का आकलन करने में मदद मिलेगी।
इस तरह के मानचित्र को तैयार करने के लिए पूरे विश्व को 5000 सेल में बांटा गया जिनमें प्रत्येक सेल 160 किलोमीटर बाय 160 किलोमीटर विभाजित किया गया। भारत में 111 सेल हैं।
भारत में सेल संख्या 1 कन्याकुमारी है जबकि अंतिम सेल अरुणाचल प्रदेश है।