भारत के महापंजीयक ने 30 जुलाई, 2018 को गुवाहाटी में असम के लिए नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC) का अंतिम प्रारूप जारी किया जो कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य किया गया है।
- पहला प्रारूप 31 दिसंबर, 2017 को जारी किया गया था जिसमें 1.9 करोड़ नाम थे।
- असम में पंजीकृत 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख (40,007,707) का नाम ‘नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर’ के अंतिम प्रारूप में छोड़ दिया गया है। हालांकि केंद्र सरकार ने उन नागरिकों को घबराने को नहीं कहा है जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है। उन पर फिलहाल निकाले जाने का खतरा नहीं है। इन्हें 28 सितंबर तक आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया है।
क्या है नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर?
- बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर को अद्यतन किया जा रहा है।
- स्वतंत्र भारत की प्रथम जनगणना के पश्चात असम में पहली बार वर्ष 1951 में नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार किया गया था जिसमें भारत के मूल नागरिकों के नाम शामिल थे। इसके पश्चात पहली बार नागरिक प्रारूप को अद्यतन किया गया है। इसके तहत 25 मार्च, 1971 के पश्चात राज्य में प्रवेश कर गये बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई है।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 1985 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन एवं केंद्र सरकार के बीच असम समझौता (Assam Accord) हुआ था जिसके तहत प्रावधान था कि वे सभी व्यक्ति जिनका 1951 के नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर में नाम हो या 24 मार्च, 1971 तक निर्वाचन सूची में नाम हो, वे असम के नागरिक माने जाएंगे अर्थात उनका नाम अद्यतन नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल होगा।
- भारतीय मूल के सभी व्यक्ति, यहां तक कि बांग्लोदश के भी, जो 1 जनवरी, 1966 तक असम में प्रवेश कर गए थे, उन्हें नागरिक माना गया। जो लोग 1 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1971 के बीच असम में प्रवेश किए उन्हें पंजीकरण कर 10 वर्ष तक असम में रहना था, उन्हें नागरिकता प्राप्त होनी थी। जो लोग 25 मार्च, 1971 के पश्चात प्रवेश किए, उन्हें निष्कासित किया जाना है।
- केंद्र सरकार, असम सरकार एवं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के मध्य 5 मई, 2005 को एनआरसी अद्यतन करने पर समझौता हुआ था। इसके पश्चात ही वर्ष 2010 में यह कार्य आरंभ हुआ।