आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की एपिग्राफी शाखा ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिला में चेब्रोलु गांव में एक संस्कृत अभिलेख खोजा गया है जिसे दक्षिण भारत का प्राचीनतम संस्कृत अभिलेख कहा गया है।
स्तंभ पर उत्कीर्ण यह अभिलेख सप्तमातृका उप-संप्रदाय का प्राचीनतम अभिलेख भी है।
इस अभिलेख की खोज गांव में भीमेश्वरा नामक मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान की गई।
इस अभिलेख की खोज से पहले इक्ष्वाकु वंश के राजा एहवाला चंतामुला द्वारा 11वीं शताब्दी में उत्कृण कराये गए नागार्जुनकोंडा अभिलेख को दक्षिण भारत का प्राचीनतम संस्कृत अभिलेख माना जाता था।
एएसआई के अनुसार यह अभिलेख सातवाहन वंश के राजा विजय के आदेश पर 207 ई- में उत्कृण करावाया गया था। विजय सातवाहन वंश के 28वें राजा था और उन्होंने छह वर्षों तक शासन किया।
इस अभिलेख में कार्तिक नामक व्यक्ति को ताम्ब्रापे नामक गांव में, जो चेब्रोलु गांव का प्राचीन नाम है, सप्तमातृका मंदिर के पास प्रासाद (मंदिर) व मंडप बनाने का आदेश दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सप्तमातृका संपद्राय में सात देवियों की पूजा की जाती है। इनमें शामिल हैं ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वराही, चौमुंडा, इंद्राणी। इनके साथ महालक्ष्मी को कभी-कभी ‘अष्ट मातृ’ भी कहा जाता है।