रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन यानी डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीष रेड्डी के अनुसार उनका संगठन भावी युद्ध प्रणालियों के के आलोक में नई प्रौद्योगिकियों के विकास पर काम रही है।
संगठन का हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर हाई इनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज ( Centre for High Energy Systems and Sciences: CHESS) ऐसी प्रौद्योगिकियों के लिए नोडल संस्था है।
जिन नवीन प्रौद्योगिकियों पर डीआरडीओ काम कर रहा है, उनमें ‘डायरेक्टेड इनर्जी वीपंस’ यानी डीईडब्ल्यू (Directed energy weapons or DEWs) भी शामिल है।
डीईडब्ल्यू लेजर आधारित या माइक्रोवेव आधारित प्रौद्योगिकी है।
यह दुश्मन की मिसाइल या ड्रोन को बिना कोई मलबा छोड़े स्थायी या अस्थायी रूप से नष्ट कर देती है। इसके विपरीत एंटी-सैटेलाइट मिसाइल यानी एएसएटी जिसे डीआरडीओ ने 27 मार्च, 2019 को परीक्षण किया, चक्कर लगा रहे भारतीय उपग्रह को नष्ट जरूर किया परंतु इससे सैकड़ों छोटे-छोटे मलबा सृजित हो गये।
जी. सतीष रेड्डी, जो कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव भी हैं, के अनुसार आज विश्व डीईडब्ल्यू की तरफ बढ़ रहा है।