- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने 25 सितम्बर 2019 को राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण के साथ एक नए अभियान ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ की शुरुआत की।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण के लिए एक वाहन को भी हरी झंडी दिखाई। कुल मिलाकर, ऐसे 25 वाहन इस सर्वेक्षण का हिस्सा होंगे, जो पूरे देश में सर्वेक्षण करने के लिए छह महीने का समय लेंगे। यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर के डाटा को सामने रखेगा, आगे जिसका उपयोग एक नीतिगत औजार के रूप में किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। यह साल 2030 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले है।
- नए टीबी अभियान का लक्ष्य वर्ष 2022 तक देश भर में टीबी उपचार सेवाओं की पहुंच को विस्तार देना और उनमें सुधार करना है। इसमें निवारक और प्रोत्साहन दृष्टिकोण शामिल है। यह निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, अंतर-मंत्रालय साझेदारी, कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ काम, गुप्त टीबी संक्रमण प्रबंधन और सामुदायिक जुड़ाव जैसे संभावित परिवर्तनकारी हस्तक्षेप का प्रस्ताव करता है। इसके साथ ही एक व्यापक, जनसंपर्क और संचार अभियान होगा ताकि बीमारी और सरकारी कार्यक्रम के तहत उपलब्ध मुफ्त उपचार सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके।
- विश्व बैंक के साथ साझेदारी: उन्होंने विश्व बैंक के साथ एक साझेदारी की भी घोषणा की, जो निजी क्षेत्र को जोड़कर और अन्य महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों के जरिये नौ राज्यों में टीबी का इलाज तेज करने के लिए 400 मिलियन डॉलर की राशि दे रहा है।
- तीन मजबूत स्तंभ: नए टीबी नियंत्रण अभियान के तीन मजबूत स्तंभों में लक्षण आधारित दृष्टिकोण, सार्वजनिक स्वास्थ्य घटक और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी शामिल है। अभियान के अन्य सहायक तत्वों में निजी क्षेत्र का जुड़ाव, रोगी का साथ और सभी स्तरों पर राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रतिबद्धता शामिल है।
- शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्य: डॉ. हर्ष वर्धन ने टीबी से निपटने में शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्यों पुरस्कार भी प्रदान किए। ज्यादा आबादी वाले राज्यों (>50 लाख) में हिमाचल प्रदेश और गुजरात सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे। वहीं त्रिपुरा और सिक्किम को मध्यम आबादी (50 लाख से कम) वाले राज्यों में उनके प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कृत किया गया। केंद्र शासित प्रदेशों में पुड्डुचेरी और दमन एवं दीव को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला आंका गया।
- वर्ष 2018 में सरकार के पास टीबी के 21.5 लाख मामले दर्ज हुए। वहीं वर्ष 2017 में यह संख्या 18 लाख थी। एक साल में इसमें 17% की वृद्धि हुई। इसके अलावा, निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के पास दर्ज मामलों की संख्या 5.4 लाख तक पहुँच गई। यह 40% की वृद्धि है, जो टीबी के कुल दर्ज मामलों का 25% है।
- जेईईटी यानी ‘जीत’: भारत सरकार ने जेईईटी यानी ‘जीत’ (JEET: Joint Effort for Elimination of TB) शुरू करने के लिए ग्लोबल फंड के साथ भागीदारी की है। यह देशभर के 45 शहरों में चल रहा निजी क्षेत्र का कार्यक्रम है। पिछले साल घरेलू स्रोतों के साथ भारत सरकार ने एनएचएम के जरिये 19 राज्यों के 120 अतिरिक्त शहरों के लिए इसे मंजूरी दी है।
- निक्षय पोषण योजना: अप्रैल 2018 में सरकार ने टीबी के रोगियों को पोषक आहार मुहैया कराने के लिए निक्षय पोषण योजना की शुरुआत की गई थी। यह एक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण यानी डीबीटी योजना थी। इस योजना के तहत टीबी रोगियों को पूरी उपचार अवधि के दौरान 500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। योजना की शुरुआत बाद से 26 लाख लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में कुल 427 करोड़ रुपये की राशि पहुंचाई गई है।