- नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने गहरे समुद्र में पहली पनडुब्बी बचाव प्रणाली (Deep Sea Submarine Rescue System) को मुम्बई की नौसेना गोदी में 12 दिसंबर, 2018 को औपचारिक रूप से शामिल किया।
- भारतीय नौसेना द्वारा गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी के बचाव की क्षमता हासिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
- भारतीय नौसेना समेत सिन्धुघोष, शिशुकुमार, कलवाड़ी वर्गों की पनडुब्बियों के साथ-साथ परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का संचालन करती है। पनडुब्बियों द्वारा अपनाये जाने वाले संचालन माध्यम और उसकी प्रकृति उन्हें उच्च जोखिम लेने योग्य बनाती है। ऐसी स्थिति में खराब पनडुब्बी के लिए समुद्र में तलाशी और बचाव के परम्परागत तरीके निष्प्रभावी हो जाते है। इस खाई को पांटने के लिए नौसेना ने तीसरी पीढ़ी की, आधुनिक पनडुब्बी बचाव प्रणाली प्राप्त की है।
- भारतीय नौसेना ऐसे देशों की लीग में शामिल हो गई है, जिनके पास खराब पनडुब्बी से चालक दल की तलाश करने, उसका पता लगाने और बचाव की उत्तम क्षमता है। भारतीय नौसेना द्वारा प्राप्त इस नई क्षमता का संचालन और उसकी तैनाती भारतीय नौसेना की नवगठित पनडुब्बी बचाव इकाई (पश्चिम) के चालक दल द्वारा मुम्बई में अपने केन्द्र से किया जाएगा।
- नौसेना की गहरे समुद्र में पनडुब्बी की बचाव प्रणाली को विश्व भर में वर्तमान में संचालित अत्याधुनिक प्रणालियों में से एक माना जा रहा है। यह किसी खराब पनडुब्बी को 650 मीटर गहरे समुद्र में बचा सकती है।