केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल स्थिति विधेयक, 2019 संहिता (Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions Bill, 2019) को संसद में पेश करने की मंजूरी दी है। इसके माध्यम से विधेयक में श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल की स्थितियों से संबंधित व्यवस्थाओं को वर्तमान की तुलना में कई गुना बेहतर बनाया जा सकेगा।
नई संहिता के माध्यम से 13 महत्वपूर्ण केंद्रीय श्रम कानूनों की निम्नलिखित व्यवस्थाओं को एक साथ मिलाकर, सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है :
- कारखाना अधिनियम 1948;
- खदान अधिनियम 1952; बंदरगाह श्रमिक (सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण) कानून, 1986 ;
- भवन और अन्य निर्माण कार्य (रोजगार का विनियमन और सेवा शर्तें) कानून 1996
- बागान श्रम अधिनियम 1951;
- संविदा श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970
- अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक (रोजगार का विनियमन और सेवा शर्तें) अधिनियम 1979 ;
- श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा शर्तें और अन्य प्रावधान) अधिनियम 1955;
- श्रमजीवी पत्रकार (निर्धारित वेतन दर) अधिनियम 1958;
- मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम 1961 ;
- बिक्री संवर्धन कर्मचारी (सेवा शर्त) अधिनियम 1976 ;
- बीड़ी और सिगार श्रमिक (रोजगार शर्तें) अधिनियम 1966 और
- सिनेमा कर्मचारी और सिनेमा थिएटर कर्मचार (अधिनियम 1981)।
नई संहिता के लागू होने के साथ ही उपरोक्त सभी अधिनियम इस संहिता में समाहित हो जाएंगे और अलग से उनका कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा।
लाभ
- सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और कार्यस्थलों में कामकाज की बेहतर स्थितियां श्रमिकों के कल्याण के साथ ही देश के आर्थिक विकास के लिए भी पहली शर्त है। देश का स्वस्थ कार्यबल ज्यादा उत्पादक होगा और कार्यस्थलों में सुरक्षा के बेहतर इंतजाम होने से दुर्घटनाओं में कमी आयेगी जो कर्मचारियों के साथ ही नियोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद रहेगा। देश के कार्यबल के लिए स्वस्थ और सुरक्षित कामकाज की स्थितियां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नई श्रम संहिता का दायरा मौजूदा 9 बड़े औ़द्योगिक क्षेत्रों से बढ़ाकर उन सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों तक कर दिया गया है जहां 10 या उससे अधिक लोग काम करते हैं।