सघन टीकाकरण मिशन इन्द्रधनुष का दूसरा चरण ( Intensified Mission Indradhanush 2.0 ) 2 दिसंबर 2019 से देशभर में शुरू हुआ।
आठ बीमारियों से बचाव
केन्द्र सरकार की इस प्रमुख योजना का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को डिप्थिरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा, मेनिनजाइटिस और हेपेटाइटिस-बी से बचाव के टीके लगाना है। चुने गये क्षेत्रों में इनसेफेलाइटिस और इन्फ़्लुएन्ज़ा से बचाव के टीके भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मार्च 2020 तक चलने वाले इस चरण का लक्ष्य 27 राज्यों के 272 जिलों का पूर्ण टीकाकरण है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने सभी से इस मिशन को आगे बढ़ाने की अपील की। जो भी समाज में, देश के बारे में, सोसायटी के बारे में, गहराई और गंभीरता से सोचता है। उन सबसे मैं कहना चाहता हूं कि अपने-अपने तरीके से आप कृपया इस संदेश को भारी पैमाने पर, बड़े पैमाने पर इसको फैलाए और एक भी बच्चा इस बार टीके के अभाव में वंचित न रहें।
मिशन इन्द्रधनुष
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्तूबर 2017 में इस मिशन की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य पहले से चलाए जा रहे मिशन इन्द्रधनुष की क्षमता और दायरा बढ़ाकर स्वास्थ्य से इतर अन्य क्षेत्रों को भी शामिल करके, रोगों की दृष्टि से अधिक संवेदनशील आबादी तक पहुंचना था। यह नियमित टीकाकरण को जन आन्दोलन बनाने का प्रयास है।
उत्तर प्रदेश में इस कार्यक्रम के अंतर्गत टीकाकरण अभियान चार चरणों में चलाया जायेगा।
पहला चरण 2 दिसंबर 2019 से शुरू हुआ जबकि अगले चरण जनवरी-फरवरी और मार्च महीने में शुरू होंगे, जो प्रदेश के 73 जिलों के 425 ब्लॉक में चलेंगे।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत 66 हजार सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें साढे 5 लाख से अधिक बच्चों और लगभग एक लाख 30 हजार गर्भवती महिलाओं को दवाएं दिए जाने का लक्ष्य है। राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि इस अभियान के दौरान खास जोर पहले टीकाकरण अभियान के तहत छूटे हुए बच्चों टीकाकरण से बचने वाले परिवारों और दूरदराज के इलाकों के साथ ही वनवासी और शहरी कुपोषित बच्चों पर रहेगा।