- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 दिसंबर, 2018 को भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018 के मसौदे को मंजूरी दी जिसका उद्देश्य मौजूदा नियामक भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) के स्थान पर एक नया निकाय गठित करना है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
- विधेयक के मसौदे में चार स्वायत्त बोर्डों के साथ एक राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Indian Systems of Medicine: NCIM) के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत आयुर्वेद से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी आयुर्वेद बोर्ड और यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्पा से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्मेदारी यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्पा बोर्ड के पास होगी। इसके अलावा दो सामान्य या आम बोर्डों में आकलन एवं रेटिंग बोर्ड और आचार नीति एवं भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों का पंजीकरण बोर्ड शामिल हैं। आकलन एवं रेटिंग बोर्ड भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के शैक्षणिक संस्थानों का आकलन करने के साथ-साथ उन्हें मंजूरी देगा। भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के चिकित्सकों का पंजीकरण बोर्ड भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधीन प्रैक्टिस से जुड़े आचार नीति मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय रजिस्टर के रख-रखाव की जिम्मेदारी संभालेगा।
- विधेयक के मसौदे में सामान्य प्रवेश परीक्षा और एक ‘एक्जिट एक्जाम’ का प्रस्ताव भी किया गया है जिसमें सभी स्नातकों को पास करना होगा, तभी उन्हें प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलेगा। इसके अलावा विधेयक में शिक्षक अर्हता परीक्षा आयोजित करने का भी प्रस्ताव किया गया है, ताकि नियुक्ति एवं पदोन्नति से पहले शिक्षकों के ज्ञान के स्तर (स्टैंडर्ड) का आकलन किया जा सके।
- विधेयक के मसौदे का उद्देश्य एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की तर्ज पर भारतीय चिकित्सा क्षेत्र की चिकित्सा शिक्षा में व्यापक सुधार लाना है।
- प्रस्तावित नियामक ढांचे या व्यवस्था से पारदर्शिता के साथ-साथ आम जनता के हितों के संरक्षण के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होगी। एनसीआईएम देश के सभी हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देगा।