प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अक्टूबर 2018 को सम्बद्ध लक्ष्यों के साथ सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की निगरानी के लिए राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) (National Indicator Framework: NIF) की समय-समय पर समीक्षा और उसमें सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय प्राकलन समिति (High Level Steering Committee) के गठन को मंजूरी दे दी है।
- उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता भारत के मुख्य सांख्यिकीविद (श्री प्रवीण श्रीवास्तव ) तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव करेंगे। समिति में आंकड़ा स्रोत मंत्रालयों और नीति आयोग के सचिव सदस्य के रूप में होंगे। इसके अलावा अन्य सम्बद्ध मंत्रालयों के सचिव विशेष आमंत्रित होंगे। इसका कार्य समय-समय पर संकेतकों में सुधार सहित राष्ट्रीय संकेतक ढांचे की समीक्षा करना होगा।
लक्ष्यः
- विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्तमान राष्ट्रीयों, कार्यक्रमों और रणनीतिक कार्य योजनाओं में मुख्य निरंतर विकास लक्ष्यों के उपाय करना।
- एनआईएफ के सांख्यिकीय संकेतक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एसडीजी की निगरानी की रीढ़ होंगे और विभिन्न एसडीजी के अंतर्गत लक्ष्यों को हासिल करने की नीतियों के परिणामों का वैज्ञानिकों तरीके से मूल्यांकन करेंगे।
- सांख्यिकी संकेतक के आधार पर, एमओएसपीआई एसडीजी के कार्यान्वयन पर राष्ट्रीय रिपोर्ट लाएगी। यह रिपोर्ट प्रगति के आकलन को सरल बनाने, चुनौतियों की पहचान करने और राष्ट्रीय स्तर पर आगे कार्य करने के लिए सिफारिशें देगी।
- आंकड़ा स्रोत मंत्रालय/विभाग आवश्यक अंतरालों पर इन संकेतकों के बारे में और एसडीजी के राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रतिवेदन के लिए एमओएसपीआई को नियमित और अलग-अलग जानकारी प्रदान करेगा।
- निकट से और प्रभावी निगरानी के लिए आत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रमुख प्रभावः
- एसडीजी विकास के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी आयामों को समाहित कर लिया। इसका उद्देश्य सबका साथ सबका विकास की मूल भावना के साथ बदलते विश्व में गरीबी उन्मूलन और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
- 17 लक्ष्यों और 169 उद्देश्यों के साथ एसडीजी निरंतर, समग्र और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा, सभी के लिए अधिक अवसर सृजित करने, असमानता कम करने, रहन-सहन के मूलभूत स्तर में सुधार, समान सामाजिक विकास को बढ़ावा और समावेशन, प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणाली के समेकित और निरंतर प्रबंधन को बढ़ावा देना चाहता है।
- एनआईएफ राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी की प्रकृति के बारे में नतीजा आधारित निगरानी और जानकारी देने में मदद करेगी।
- राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के कार्यान्वयन पर कोई प्रत्यक्ष वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। तथापि सम्बद्ध मंत्रालयों को एसडीजी संकेतकों की निगरानी को सरल बनाने के लिए उनकी सांख्यिकी प्रणालियों को फिर से संगठित और मजबूत बनाना होगा।
- उम्मीद है कि एसडीजी लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा और एसडीजी के कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी से पूरे देश को लाभ मिलेगा।
सतत विकास लक्ष्य
- न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर वर्ष 2000 में हुई सहस्त्राब्दी शिखर बैठक में विकास संबंधी आठ उद्देश्यों को स्वीकार किया गया, जिन्हें सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) के नाम से जाना जाता है। इसने वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के बीच देशों को उनकी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों का अनुसरण करने का खाका तैयार किया। एमडीजी के आठ लक्ष्य है और इसमें विकास के विभिन्न मुद्दों को रखा गया है। एमडीजी के उद्देश्यों को विभिन्न देशों में असमान रूप से हासिल कर लिया गया और यह आवश्यकता महसूस की गई कि इसकी उपयोगिता का आकलन करने और 2015 के बाद विश्व में विकास सहयोग के मार्गदर्शन के लिए संभावित उत्तराधिकारी का पता लगाने के लिए नये सिरे से विचार-विमर्श किया जाए।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 70वें अधिवेशन में अगले 15 वर्षों के लिए सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals(SDGs) ) पर विचार किया और उसे स्वीकृत किया।
- 01 जनवरी, 2016 से 17 सतत विकास लक्ष्य अस्तित्व में आए। हालांकि कानूनी रूप से कोई बाध्यता नहीं है, एसडीजी वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय दायित्व में और इसमें अगले 15 वर्षों के दौरान देशों की घरेलू व्यय प्राथमिकताओं में बदलाव लाने की संभावनाएं है। उम्मीद है कि देश स्वामित्व लेंगे और इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय ढांचा स्थापित करेंगे। इसका कार्यान्वयन और सफलता देशों की अपनी निरंतर विकास नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर निर्भर करेगी। देश लक्ष्यों और उद्देश्यों के कार्यान्वयन में हुई प्रगति के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आगे कार्य करने और समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार होंगे। एसडीजी के अंतर्गत प्रगति की निगरानी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने के लिए गुणवत्ता, पहुंच और समय पर आंकड़ों की जरूरत होगी।