केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2 जनवरी, 2019 को असम समझौते की धारा 6 को लागू करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन तथा समझौते के कुछ निर्णयों व बोडो समुदाय से संबंधित कुछ मामलों की भी मंजूरी दी।
असम समझौते (Assam Accord)
- 1979-1985 के दौरान हुए असम आंदोलन के पश्चात 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर हुए। समझौते की धारा 6 के अनुसार असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान व विरासत को संरक्षित करने और प्रोत्साहित करने के लिए उचित संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक उपाय किये जायेंगे।
- परंतु यह महसूस किया गया कि असम समझौते के 35 वर्षों के बाद भी समझौते की धारा 6 को पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं किया गया है। इसलिए मंत्रिमंडल ने एक उच्चस्तरीय समिति के गठन को मंजूरी दी है जो असम समझौते की धारा 6 के आलोक में संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षात्मक उपायों से संबंधित अनुशंसाएं प्रदान करेगी।
- समिति असम समझौते की धारा 6 को लागू करने में 1985 से अब तक किये गये कार्यों के प्रभाव का मूल्यांकन करेगी। समिति सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करेगी और असमी लोगों के लिए असम विधानसभा तथा स्थानीय निकायों में आरक्षण के लिए सीटों की संख्या का आंकलन करेगी।
- समिति असमी और अन्य स्थानीय भाषाओं को संरक्षित करने, असम सरकार के तहत रोजगार में आरक्षण का प्रतिशत तय करने तथा असमी लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान व विरासत को सुरक्षित, संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने के लिए अन्य उपायों की आवश्यकता का आंकलन करेगी।
बोडो म्यूजियम सह भाषा व सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र की स्थापना
- मंत्रिमंडल ने बोडो समुदाय से संबंधित लम्बे समय से चले आ रहे मामलों को पूरा करने के विभिन्न उपायों को भी मंजूरी दी है। बोडो समझौते पर 2003 में हस्ताक्षर किये गये। परिणामस्वरूप भारतीय संविधान छठी अनुसूची के अंतर्गत बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ। हालांकि बोडो समुदाय के विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों के संबंध में लगातार ज्ञापन दिये हैं।
- मंत्रिमंडल ने बोडो म्यूजियम सह भाषा व सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र की स्थापना, कोकराझार में वर्तमान के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन व दूरदर्शन केन्द्र को आधुनिक बनाने तथा बीटीएडी से होकर गुजरने वाली एक सुपर फास्ट ट्रेन का नाम अरोनई एक्सप्रेस रखने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है।
- राज्य सरकार भूमि नीति और भूमि कानूनों के संबंध में आवश्यक कदम उठायेगी। इसके अलावा राज्य सरकार स्थानीय समुदायों के रीतिरिवाजों, परंपराओं और भाषाओं के शोध और प्रलेखन के लिए संस्थाओं की स्थापना करेगी।