आईपीसी की धारा 376ई की संवैधानिक वैधता को मान्यता

  • बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ई (बार-बार अपराध करने वालों के लिए दंड-punishment for repeat offenders) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है और इसे वैध माना है।
  • न्यायमूर्ति बी.पी. धर्माधिकारी एवं रेवित मोहिते देरे वर्ष 2013 के शक्ति मिल्स बलात्कार मामले के आरोपियों द्वारा उपर्युक्त धारा के तहत मृत्युदंड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्णय दिया।

क्या है मामला?

  • मोहम्मद सलिम असांरी, मोहम्मद कासिम बंगाली, एवं विजय जाधव को 31 जुलाई, 2013 को मुंबई के शक्ति मिल में 18 वर्षीय टेलीफोन ऑपरेटर की तथा इसी जगह पर 22 अगस्त 2013 को 22 वर्षीया फोटो पत्रकार के बलात्कार के मामले में सजा दी गई थी।
  • मुंबई सेशन कोर्ट ने सभी अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा दी थी। बाद में पब्लिक प्रोसेक्युटर ने इन तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376ई के तहत मृत्युदंड की सजा हेतु आवेदन दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया और 4 अप्रैल, 2012014 को
  • उपर्युक्त धारा के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। इस धारा के तहत सजा पाने वाले ये तीनों प्रथम अभियुक्त हैं।

क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा 376ई?

  • वर्ष 2012 में दिल्ली में निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के पश्चात गठित न्यायमूर्ति जे.एस.वर्मा कमेटी की सिफारिशों के पश्चात आपराधिक विधि (संशोधन), 2013 में उपर्युक्त प्रावधान को शामिल किया गया।
  • यह धारा (IPC 376E) बार-बार अपराध करने वाले अपराधियों को सजा का प्रावधान करता है।
  • उपर्युक्त धारा की संवैधानिक वैधता को उपर्युक्त तीनों दोषियों ने चुनौती दी थी।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *