- गैरकानूनी क्रिया कलाप निवारण कानून-1967 (Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967) में हाल ही में किए गये संशोधन के अनुसार, केन्द्र सरकार ने चार व्यक्तियों को आंतकवादी घोषित करते हुए उनके नाम को कानून की अनुसूची-4 में शामिल करने का निर्णय लिया है। इन आतंकवादियों को संशोधित एक्ट की धारा 35 (1)(अ) के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है। चार घोषित आतंकवादी हैं:
- मौलाना मसूद अजहर : जैश-ए-मुहम्मद का प्रमुख, संस्थापक और मुख्य नेता
- हाफिज मुहम्मद सईद : लश्कर-ए-तैयबा/जमात-उद-दावाका प्रमुख, संस्थापक और मुख्य नेता
- जकी-उर-रहमान लखवी: लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य संचालक कमाण्डर और उसके संस्थापक सदस्यों में से एक
- दाउद इब्राहिम कासकर :एक अन्तर्राष्ट्रीय आपराधिक संगठन चलाता है और आंतकवादी घटनाओंमें सम्मिलित है।
उपर्युक्त सभी व्यक्ति भारत में आंतकी हमलों में शामिल रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इन्हें वैश्विक आंतकवादी घोषित किया जा चुका है।
गैरकानूनी क्रिया कलाप निवारण कानून संशोधन , 2019
- राज्यसभा ने 2 अगस्त, 2019 को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Bill, 2019) पारित कर दिया था । इस विधेयक के माध्यम से गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट 1967 में संशोधन किया गया है। लोकसभा ने 24 जुलाई, 2019 को इस विधेयक को पारित कर दिया था।
- व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करनाः इस विधेयक के माध्यम से अब व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा।
- डीजी एनआईए को संपत्ति को जब्त करने का अधिकार: वर्तमान में यूएपीए के प्रावधानों के अनुसार, आतंकवाद से जुड़ी संपत्ति को केवल उस राज्य के डीजीपी द्वारा लिखित अनुमोदन के साथ जब्त किया जा सकता है, जिसमें ऐसी संपत्ति स्थित है। कई बार आतंकी विभिन्न राज्यों में अपनी संपत्ति रखते हैं। ऐसे मामलों में अलग-अलग राज्यों के डीजीपी की मंजूरी लेना मुश्किल हो जाता है और जिसके कारण होने वाली देरी से अभियुक्तों की संपत्ति आदि को स्थानांतरित किया जा सकता है। इसलिए जल्द से जल्द आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करना आवश्यक है। यह संशोधन डीजी एनआईए को ऐसी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है जो एनआईए द्वारा की जा रही जांच के संबंध में आतंकवाद से जुड़ी है। उन्होँने यह भी कहा कि एनआएए की सजा की दर 91 प्रतिशत है जो वैश्विक स्तर पर सर्वंश्रेस्ठ है।
- निरीक्षक भी कर सकेगा जांच: पहले जहां यूएपीए की धारा 43 के तहत डीएसपी स्तर या उससे ऊपर के अधिकारी को मामले की जांच का अधिकार था। संशोधन के माध्यम से अब यह शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) एवं उससे ऊपर के अधिकारी को भी प्रदान किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री के अनुसार एनआईए में जांच अधिकारियों की कमी को देखते हुए इस कदम से मदद मिलेगी।