- भारतीय वायुसेना के दुर्जेय विमान, रूस निर्मित एएन-32 को 24 मई 2019 को मिश्रित विमानन ईंधन (blended aviation fuel) से संचालित करने के लिए औपचारिक रूप से प्रमाणित किया गया।
- मिश्रित विमानन ईंधन में 10 प्रतिशत तक स्वदेशी बायो-जेट ईंधन का उपयोग किया जायेगा।
- वायुसेना ने पिछले एक वर्ष में इस हरित विमानन ईंधन के लिए कई परीक्षण किये हैं। इन परीक्षणों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखा गया है। अनुमोदन से स्वदेशी बायो-जेट ईंधन के उपयोग के लिए किए गये विभिन्न परीक्षणों को स्वीकृति मिली है।
- सीएसआईआर-आईआईपी प्रयोगशाला, देहरादून ने 2013 में पहली बार स्वदेशी बायो-जेट ईंधन का उत्पादन किया था। परन्तु व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए ईंधन का परीक्षण नहीं हो पाया क्योंकि विमानन क्षेत्र में परीक्षण सुविधाओं का अभाव था।
- वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने 27 जुलाई 2018 को स्वदेशी ईंधन के परीक्षण व प्रमाणन के लिए अपने संसाधनों के उपयोग की स्वीकृति देने से संबंधित घोषणा की थी। इसके बाद वायुसेना के विमान-परीक्षण दल और इंजीनियरों ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इस ईंधन का मूल्यांकन किया है। “मेक इन इंडिया” मिशन के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जैव-ईंधन वृक्षों द्वारा प्राप्त तेल (टीबीओ) की सहायता से तैयार किया जाएगा।