- उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज’ करने संबंधी प्रस्ताव को 16 अक्टूबर, 2018 को मंजूरी दे दी।
- राज्य कैबिनेट के अनुसार यह नाम परिवर्तन नहीं बल्कि 500 वर्ष पहले की स्थिति बहाल की गई है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने न केवल शहर का नाम वरन् उच्च न्यायालय का नाम बदलने का आग्रह किया जाएगा। भारतीय रेलवे को भी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने को कहा जाएगा।
प्रयाग का इतिहास
- प्रयाग का इतिहास काफी पुराना है। इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। यहां से 600-700 ई-पू- के उत्तरी काल पॉलिश मृदभांड प्राप्त हुए हैं।
- हिंदू मिथक के अनुसार ब्रह्मा ने ‘प्रकृस्ता यज्ञ’ के लिए इस जगह को चुना था और इसे तीर्थ राज कहा।
- ब्रह्म पुराण में प्रयाग में स्नान का उल्लेख है।
- पुराणों में उल्लेख है कि ययाति ने प्रयाग छोड़ा और सप्तसिंधु पर विजय प्राप्त की।
- महाजनपद काल में प्रयाग कौशाम्बी का हिस्सा था।
- यहां से अशोक स्तंभ व समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति प्राप्त हुई है जिसका लेखक हरिषेण था। इसमें समुद्रगुप्त के विजय अभियानों एवं अपनाई गई नीतियों का उल्लेख है।
- मुगल शासक अकबर ने 1575 में संगम किनारे किला बनवाया और इसका नाम इलाहाबाद रखा जिसका फारसी में मतलब होता है ‘खुदा का घर’।
Photo: Prayagraj, Credit: Wikimedia Commons