आंध्रप्रदेश के नेल्लोर (अब श्री पोट्टी श्री रामुलू के रूप में नाम रखा गया है) में नायडूपेटा के निकट गोट्टीप्रोलू में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम-6, बंगलौर द्वारा की गई खुदाई के पहले चरण में व्यापक तौर पर ईंटों वाली संरचना से घिरी एक विशाल बस्ती के अवशेष मिले हैं। खुदाई में मिली कई अन्य प्राचीन वस्तुओं में विष्णु की एक आदमकद मूर्ति और वर्तमान युग की शुरूआती शताब्दियों के विभिन्न प्रकार के बर्तन शामिल हैं।
गोट्टीप्रोलू (13° 56’ 48” उत्तर; 79° 59’ 14” पूरब) में नायडूपेट से लगभग 17 किलोमीटर पूरब और तिरूपति तथा नेल्लोर से 80 किलोमीटर दूर स्वर्णमुखी की सहायक नदी के दायें किनारे पर स्थित है। विस्तृत कटिबंधीय अध्ययन और ड्रोन से मिली तस्वीरों से एक किले से घिरी प्राचीन बस्ती की पहचान करने में मदद मिली है। बस्ती की पूर्वी और दक्षिणी ओर किलाबंदी काफी स्पष्ट है, जबकि दूसरी ओर आधुनिक बस्तियों के परिणाम स्वरूप यह अस्पष्ट प्रतीत होती है।
इस खुदाई से ईंट से निर्मित विभिन्न आकारों और रूपों की संरचना मिली है।
इस खुदाई में पक्की ईंटों से निर्मित संरचना मिली है, जो 75 मीटर से अधिक लम्बी, लगभग 3.40 मीटर चौड़ी और लगभग 2 मीटर ऊंची है। खुदाई में ईंटों से बना आयताकार टैंक भी मिला है। ईंटों का आकार 43-40 सेमी आकार पाया गया है, जिसकी तुलना कृष्णा घाटी यानी अमरावती और नागार्जुनकोंडा की सातवाहन/इक्ष्वाकु काल की संरचनाओं से की जा रही है। ईंटों के आकार और अन्य खोजों के आधार पर इन्हें अथवा दूसरी-पहली शताब्दी ईस्वी पूर्व अथवा उसके कुछ समय बाद (लगभग 2000 वर्ष पुराने) के समय का माना जा रहा है।
खुदाई में मिले अवशेषों के अलावा, गांव के पश्चिमी हिस्से से जमीन के नीचे विष्णु की मूर्ति भी मिली है।
इस क्षेत्र के लोगों ने, प्राचीनकाल में व्यापार में आसानी के लिए समुद्र, नदी और झील (पुलिकट) से निकटता को ध्यान में रखते हुए, 15 किलोमीटर की दूरी पर किलाबंदी किए गए दो नगरों को बसाने को अपनी प्रमुखता दी थी।