- सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र सरकार की ‘आधार स्कीम’ को संवैधानिक ठहराया है।
- मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 26 सितंबर, 2018 को आधार की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बहुमत से खारिज कर दिया।
- न्यायालय के अनुसार आधार सशक्तिकरण का दस्तावेज है। यह एक अतुलनीय पहचान प्रमाण पत्र है जिसकी नकल नहीं की जा सकती।
- बहुमत का निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति सिकरी ने कहा कि ‘सर्वश्रेष्ठ होने से विशिष्ट होना अच्छा है। सर्वश्रेष्ठ आपको नंबर-एक बनता है जबकि विशिष्ट आपको ‘एकमात्र’ बनाता है।’
- न्यायमूर्ति सिकरी का यह भी कहना था कि सामाजिक कल्याणकारी देश में सुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी की महत्ती भूमिका है। मध्याह्न भोजन योजना, पीडीएस, छात्रवृत्ति, एलपीजी सब्सिडी में भारी राशि संलग्न है और गरीबों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए इसे फूलप्रूफ होना जरूररी है।
- हालांकि न्यायालय ने आधार के सेक्शन-57 को असंवैधानिक ठहरा दिया है। अब निजी कंपनियां आधार के लिए जबर्दस्ती नहीं कर सकती।
- नीट, सीबीएसई, यूजीसी, जेईई के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा।
- आधार को बैंक खाते और मोबाइल नम्बर से जोड़ने तथा स्कूलों में प्रवेश के लिए इसकी आवश्यकता से जुड़े कुछ प्रावधानों को समाप्त कर दिया है।
- आयकर विवरणी जमा कराने और स्थायी खाता संख्या–पैन प्राप्त करने के लिए आधार जरूरी होगा। लेकिन बैंक खातों या मोबाइल फोन को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता अदालत ने समाप्त कर दी।
- बच्चों के स्कूलों में प्रवेश के लिए भी आधार की अनिवार्यता समाप्त हो गई है।
- उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि आधार अधिनियम में ऐसी कोई बात नहीं है जो नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है। संविधान पीठ ने आधार योजना और इससे संबंधित विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।
- अदालत ने कहा कि आधार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का फायदा समाज के उपेक्षित वर्गों तक पहुंचे।
- न्यायालय ने व्यवस्था दी कि आधार के आंकड़ों को छह महीने से अधिक समय के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकेता।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार की सर्विस चाहिए तो उसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। ताकि सरकार की सर्विस है वो वांछित व्यक्ति तक ही जा सके जिससे गलत हाथों पर न पड़े, करप्शन न हो और साथ ही बैंक अकाउंट खोलना या मोबाइल फोन लेना तो वहां आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और खास तौर पर सरकार की जो जरूरत है जैसे टैक्स के मामले में पैन कार्ड और आधार कार्ड को कनेक्ट उन्होंने कर दिया है ताकि लोग अपना टैक्स इमानदारी से दे सके।
- निर्णय सुनाने वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ के पांच न्यायाधीश हैं: मुख्य न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के.सिकरी, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति अशोक भूषण।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आधार को असंवैधानिक करार दिया तथा इसे धन विधेयक के रूप में संसद में पेश करने को भी गलत ठहराया।