- केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने चेन्नई में उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडु द्वारा उपराष्ट्रपति के रूप में दो साल के कार्यकाल पर लिखी पुस्तक ‘लिस्टिंग, लर्निंग एंड लीडिंग’ का विमोचन करते हुए कहा कि इस पुस्तक का शीर्षक उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया जी के जीवन की व्याख्या करता हुआ शीर्षक है।
- श्री अमित शाह ने कहा कि आंध्र प्रदेश के एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेकर श्री नायडु बहुत कम उम्र में ही आरएसएस एवं विद्यार्थी परिषद् की विचारधारा से जुड़ गए और उसके आधार पर उन्होंने जिस तरह से राज्य और देश के विकास में अपना योगदान दिया, यह हम सबने देखा है। उन्होँने बताया कि श्री वेंकैया जी विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता थे और जब विद्यार्थी परिषद् का धारा 370 के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तो श्री वेंकैया जी भी उस आंदोलन का हिस्सा थे। इस दौरान एक कम्युनिस्ट प्रोफ़ेसर ने श्री वेंकैया जी से पूछा कि आपने कश्मीर देखा है क्या? यदि आपने कश्मीर देखा ही नहीं है तो आप आंदोलन क्यों कर रहे हैं? तो छूटते ही वेंकैया जी का जवाब था कि हालांकि एक आँख को दूसरी आँख दिखाई नहीं देती लेकिन यदि एक को दर्द होता है तो दूसरी आँख को अपने आप महसूस हो जाता है। श्री शाह ने कहा कि यह विधि का ही विधान है कि जो बाल वेंकैया नायडु ने 370 के खिलाफ आंदोलन किया था वही श्री नायडु धारा 370 हटाने के समय राज्यसभा में अध्यक्षता कर रहे थे।
- कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडु का कहना था कि इस पुस्तक के द्वारा उन्होँने अपने अनुभव साझा किये हैं ताकि लोग इससे लाभान्वित हो सकें। उनका कह्ना था कि मेरा इरादा नानाजी देशमुख की तरह रचनात्मक कार्यक्रम करने का था क्योंकि मुझे जगह-जगह घूमकर कार्यकर्ताओ के साथ काम करने में आनंद आता था। श्री नायडु ने यह भी कहा कि मैंने कभी उपराष्ट्रपति बनना नहीं चाहा क्योंकि मुझे लगा कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद लोगों के साथ संवाद करना मुश्किल है, उपराष्ट्रपति बनने के बाद मैं पार्टी ऑफिस नहीं जा पाऊंगा और अपने कार्यकर्ताओं से नहीं मिल पाऊंगा इस बात की चिंता भी मुझे थी।