केरल के कोझेनचेरी के पास पुल्लाद में एक मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक (Rhacophorus malabaricus) देखा गया ।
यह एक दुर्लभ उभयचर है जो 10-12 मीटर तक हवा में ग्लाइड (सरक) कर सकता है।
इसे NSS कॉलेज, पंडालम में वनस्पति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर जितेश कृष्णन द्वारा देखा गया। यह मेढक हरे रंग का है, जिसके पतला शरीर , झिल्लीदार पैर, असामान्य शरीर की स्थिति है और हवा में सरकने में सक्षम है।
मेंढक पश्चिमी घाट के वर्षा वनों की स्थानिक प्रजाति है। मेंढक के शरीर की लंबाई 10 सेंटीमीटर है, जिससे यह सबसे बड़ा मेंढ़को में से एक है।
मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक (Rhacophorus malabaricus) हवा में ग्लाइड या तैरने की क्षमता रखता है। यह Rhacophoridae मेंढक प्रजाति का एक परिवार है, जिसे एशिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। इन्हें आमतौर पर ‘बुश फ्रॉग्स’ या ‘मॉस फ्रॉग्स’ के रूप में जाना जाता है। कुछ सदस्य समीपस्थ होते हैं और उन्हें ‘ट्री फ्रॉग्स’ कहा जाता है और पेड़ों पर प्रजनन करते हैं। इस परिवार के सबसे शानदार सदस्यों में ‘ग्लाइडिंग मेंढक’ हैं।
मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों में पाया जाता है। वे आम तौर पर शांत और शायद ही कभी ग्लाइड करते हैं। लेकिन जब सर्प जैसे शिकारी उन पर हमला करते हैं, तो ये मेंढक अपने अंगों को फैलाते हुए अपने पैरों के जाल और पेड़ की कैनोपी से नीचे छलांग लगाते हैं, और हवा में लगभग 10 मीटर तक पैराशूट की तरह आसानी से सरकते हैं।
Source: The Hindu and The New Indian Express (Representative image: Malabar Glider Frog by Wikimedia commons)
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