लक्षद्वीप प्रशासन ने ‘मूषकों के जैविक नियंत्रण पर पायलट परियोजना’ (Pilot project on Biological Control of Rodents) आरंभ किया है।
- इस परियोजना के तहत बार्न उल्लू (टाइटो अल्बा-Tyto alba) का उपयोग कवरत्ती द्वीप पर चूहों को समाप्त करने के लिए किया जा रहा है।
- एक अध्ययन के मुताबिक लक्षद्वीप में नारियल की उत्पादकता एवं अर्थव्यवस्था को हो रही क्षति के लिए चूहों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
- वर्ष 2019 में केरल से तीन जोड़े बार्न उल्लू लक्षद्वीप में लाये गये थे।
- लक्षद्वीप के कृषि विभाग, केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के तहत कृषि विज्ञान केंद्र के आरंभिक डेटा के अनुसार यह रणनीति काफी प्रभावी सिद्ध हुयी है। इसलिए अब और बार्न उल्लू लाने की योजना बनाई गई है।
- चूंकि लक्षद्वीप आर्गेनिक हो चुका है इसलिए वहां चूहों को मारने के लिए रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। साथ ही नारियल के पेड़ एक-दूसरे से काफी नजदीक हैं इसलिए चूहों को मारने के लिए उल्लू का विकल्प चुना गया।
बार्न उल्लू
- बार्न उल्लू भारतीय उपमहाद्वीप में पाये जाने वाला सर्वाधिक आम उल्लूओं में से एक है।
- यह निशाचर पक्षी है और अक्सरहां इसे देखा नहीं जाता वरन् आवाज से ही इसके बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- यह मुख्यतः कृतंकों यानी मुषकों को अपना आहार बनाता है इसलिए इसे किसानों का मित्र माना जाता है।
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